इलाहाबाद : भर्ती घोटाला जाँच में विशेषज्ञों के सवाल से छूट रहे हैं पसीने, नंबरों से छेड़छाड़ कर साफ्टवेयर बदलने का भी पता लगा ले रहे सीबीआइ के फोरेंसिक एक्सपर्ट
इलाहाबाद : भर्तियों की जांच कर रही सीबीआइ के फोरेंसिक विशेषज्ञों से उप्र लोकसेवा आयोग को पसीने छूटने लगे हैं। जांच शुरू करने से पहले ही सीबीआइ को इस बात का आभास हो गया था कि कंप्यूटरों में परीक्षाओं से संबंधित डाटा से छेड़छाड़ हुई होगी। टीम ने इसीलिए शुरुआती जांच प्रक्रिया फोरेंसिक विशेषज्ञों को साथ लेकर शुरू की। विशेषज्ञों के प्रशिक्षण और उनकी ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले अत्याधुनिक साफ्टवेयर से ही घबराकर आयोग का रुख असहयोगात्मक है। 1सीबीआइ की फोरेंसिक टीम में देश के कई ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि इन वैज्ञानिकों की टीम कंप्यूटर में किसी भी तरह के साफ्टवेयर की अदला बदली की जानकारी अविलंब प्राप्त कर लेती है। टीम के पास जो साफ्टवेयर हैं उससे यह भी पता लग जाता है कि कंप्यूटर जिस स्थान पर रखा है वहां कब रखा गया था। इसके अलावा फोरेंसिक वैज्ञानिकों का दल यह पता लगाने में दक्ष है कि कंप्यूटर में नंबरों की अदला बदली कब और कैसे हुई। जैसे किसी अभ्यर्थी को परीक्षा में पहले 100 नंबर दिया गया। डिलीट कर उसका नंबर 80 किया गया और पुन: किसी अधिकारी के निर्णय पर 80 नंबर को भी 60 कर दिया गया। इसके बाद राज दफन करने को साफ्टवेयर ही बदल दिया गया। यानी वर्तमान में उस नए साफ्टवेयर के चलते कंप्यूटर स्क्रीन पर अभ्यर्थी के 60 नंबर ही दिखेंगे। जबकि फोरेंसिक टीम जब विशेष साफ्टवेयर के जरिए पुराने साफ्टवेयर का पता लगाकर उसके रिकार्ड खंगाल रही है तो अभ्यर्थी के पुराने यानी 100 और इसके बाद 80 नंबर भी दिख रहे हैं। यह नंबर बार-बार क्यों बदले गए, सीबीआइ के यह पूछने पर आयोग के कंप्यूटर विशेषज्ञों या किसी अन्य के पास जवाब नहीं है।1राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से पांच साल के दौरान हुई भर्तियों में केवल उन्हीं का उत्पीड़न नहीं हुआ जिन्हें विभिन्न परीक्षाओं में चयन से बाहर होना पड़ा बल्कि, सरकारी सेवाओं के लिए चयनित हो चुके लोग भी पीड़ित हैं। मंगलवार को यह स्थिति तब सामने आई जब सीबीआइ के कैंप कार्यालय पर आरओ-एआरओ परीक्षा 2013 में चयनित दो लोग भी अपनी शिकायत दर्ज कराने पहुंचे।1इलाहाबाद के गोविंदपुर में सीबीआइ के कैंप कार्यालय पर दो चयनित पहुंचे। इनका चयन आयोग की 2013 में समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा से हुआ था। इनमें एक की शिकायत थी कि परीक्षा में उसके 12 अंक काट लिए गए। जिससे समीक्षा अधिकारी के पद पर न होकर उसका चयन मलेरिया इंस्पेक्टर के पद पर हुआ। वहीं एक दिव्यांग ने बताया कि उसका चयन बाट माप निरीक्षक पद पर हुआ। यदि पूरे नंबर मिले होते तो उसका चयन समीक्षा अधिकारी राजस्व के पद पर होता। लोअर सबॉर्डिनेट 2009, पीसीएस 2015 से चयनित कुछ शिकायतकर्ता पहुंचे। इनकी शिकायत स्केलिंग को लेकर थी। इन सभी ने अपने शिकायतीपत्र में अपने अंक के साथ समान अंक पर स्केलिंग की आड़ में अधिक अंक पाने वाले उच्च पद प्राप्त चयनितों का अंक पत्र भी संलग्न किया है। चयनितों की ओर से सीबीआइ को गोपनीय जानकारी भी दी गई है जिसके आधार पर आयोग के भ्रष्टाचार को उजागर करने में सीबीआइ को मदद मिलेगी।