इलाहाबाद : प्रवेश, फीस व किताबों के लिए भी चलेगा अभियान, हर कक्षा में प्रवेश पर एडमिशन फीस लेने वाले स्कूल होंगे निशाने पर
इलाहाबाद : नए शैक्षिक सत्र में योगी सरकार अभिभावकों व छात्र-छात्रओं के साथ खड़ी दिखेगी। प्रवेश फीस और किताबों की उपलब्धता की मानीटरिंग अभियान के रूप में होगी, ताकि अभिभावकों की जेब न कटे और पढ़ाई में व्यवधान न पड़े। इस बार सत्र शुरू होने से काफी पहले से ही यह इंतजाम किए जा रहे हैं। सत्र शुरू होने पर अफसरों को इसमें जुटाने की तैयारी है।
योगी सरकार ने जिस तरह से यूपी बोर्ड परीक्षा 2018 में वृहद तैयारियों के जरिए नकल पर अंकुश लगाने में कामयाबी पाई है यह प्रयोग अब अभिभावक व छात्रों के हित में दोहराने की तैयारी है। असल में बीते वर्ष सत्र शुरू होने के बाद प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक संसाधन को मुहैया कराने व पढ़ाई तरीके से कराने में कामयाबी नहीं मिल पाई थी। प्राथमिक स्कूलों में जुलाई में भी स्कूल चलो अभियान चलाना पड़ा। जुलाई से सितंबर तक किताबें सभी स्कूलों में नहीं बंट पाई। बैग व स्वेटर बांटने में भी विलंब हुआ। उसी तरह से माध्यमिक कालेजों में किताबों की उपलब्धता समय पर नहीं हो सकी थी। विभागीय अफसरों से लेकर मंत्री तक ने उससे काफी कुछ सीखा है।
वहीं सरकार ने अभिभावकों को राहत देने के लिए इस बीच कई नियम भी बनाए हैं। बड़े अधिकारी इस बार सारी तैयारियां सत्र शुरू होने से पहले ही पूरी कराने में जुटे हैं, मसलन प्राथमिक व माध्यमिक अंग्रेजी स्कूलों का चयन, किताबों का टेंडर सहित अन्य इंतजाम पूरे किए जा रहे हैं। 1सत्र शुरू होने से पहले ही जिलाधिकारी व अन्य अफसरों को इन कार्यो के सख्त पर्यवेक्षण का जिम्मा दिए जाने की तैयारी है। सरकार ने निर्देश दिया है कि स्कूलों में छात्र-छात्रओं के दाखिला लेने पर एक बार ही प्रवेश शुल्क लिया जाए।
आशंका है कि निजी व मिशनरी स्कूल इसका कोई अन्य रास्ता निकालेंगे, ऐसे में उनकी सख्ती से निगरानी होगी। सत्र शुरू होते ही प्राथमिक की किताबें, बैग, स्वेटर व जूता मोजा आदि तय समय पर बंटे, माध्यमिक की किताबें बाजार में पहुंचे, वहीं कालेज निजी प्रकाशकों की जगह इन्हीं की पढ़ाई कराएं, यह निर्देश दिए जा चुके हैं। अफसरों का मानना है कि सख्ती किए बिना स्थिति सुधरेगी नहीं, ऐसे में यूपी बोर्ड परीक्षा की तरह पर अभियान चलाने की योजना बन रही है।