सिद्धार्थनगर : ठंड खत्म होते ही गर्मी दस्तक देगी, इसके साथ ही स्कूलों में पेयजल का संकट भी बढ़ेगा।
सिद्धार्थनगर : ठंड खत्म होते ही गर्मी दस्तक देगी। इसके साथ ही स्कूलों में पेयजल का संकट भी बढ़ेगा। प्राथमिक विद्यालयों में पानी के बिना बच्चे हलकान होंगे। सूखे ओठ को नम करने के लिए उन्हें गांव में लोगों के मकानों पर लगे हैंडपंपों का सहारा लेना पड़ेगा। जिम्मेदारों की अनदेखी से खराब पड़े एक दर्जन विद्यालयों के नल से छात्रों की प्यास कैसे बुझेगी। तपिस के साथ यह समस्या भी और बढ़ेगी।
विकास खंड में प्राथमिक व जूनियर मिलाकर कुल 227 विद्यालय स्थापित हैं। वर्तमान में दो दर्जन से अधिक विद्यालयों के हैंडपंप पूरी तरह अस्तित्व विहीन हो चुके हैं। जहां लगे हैं वहां दूषित जल देने की शिकायतें आम हैं। खुद बीआरसी के अनुसार 163 प्राथमिक विद्यालयों में मात्र एक दर्जन ही विद्यालय ऐसे हैं जहां इंडिया मार्का हैंडपंप मानक के अनुसार लगे हैं। अधिकांश को तो कम बोर पर ही बांध दिया गया है। नतीजतन नलों से दूषित पानी आना रहा है। कम्हरिया स्थित प्राथमिक विद्यालय में स्थापना काल के समय जो नल लगा था अब वह गायब हो सिर्फ उसकी पाइप ही लगी दिखाई पड़ रही है। हंसवापार प्राथमिक विद्यालय पर लगे इंडिया मार्का हैंड पंप के ऊपर का हिस्सा एक वर्ष से गायब है। इन दोनों विद्यालय के बच्चों को गांव के घरों पर लगे नलों से अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। पचमोहनी प्राथमिक विद्यालय के इंडिया मार्का नल बदबू दार पानी दे रहा है। अब तो यहां भी बच्चों ने पानी पीना बंद कर दिया है।यही स्थिति पूर्व माध्यमिक विद्यालय रमवापुर दूबे सहित सिकटा, मध्य नगर, बरगदी आदि प्राथमिक विद्यालयों की भी है, नल या तो बेपानी हैं या दूषित जल देने से बच्चे प्यासे भटकते हैं। खंड शिक्षा अधिकारी पंकज कुमार मौर्य का कहना है कि लिखित सूचना जल निगम को दी गई है, पर अभी तक स्थिति वैसी ही है।