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इलाहाबाद : लंबित शिक्षक भर्तियां शुरू न होने पर प्रतियोगी आक्रोशित, पुनर्गठन होने के बाद भी लंबित शिक्षक भर्तियों की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं

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इलाहाबाद : लंबित शिक्षक भर्तियां शुरू न होने पर प्रतियोगी आक्रोशित, पुनर्गठन होने के बाद भी लंबित शिक्षक भर्तियों की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं

इलाहाबाद : उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का पुनर्गठन होने के बाद भी लंबित भर्तियों की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो सकी है। इससे आक्रोशित प्रतियोगियों ने गुरुवार को आयोग कार्यालय पहुंचकर विरोध जताया। विज्ञापन-46 के नौ विषय के लंबित साक्षात्कार और विज्ञापन-47 की लिखित परीक्षा शुरू कराने की मांग की। प्रतियोगियों की आयोग के अध्यक्ष से वार्ता भी हुई।

युवा मंच के बैनर तले कई प्रतियोगी आयोग कार्यालय पहुंचे। वहां भर्तियों को लंबित रखने और प्रतियोगियों के भविष्य से खिलवाड़ करने पर विरोध जताया। प्रतियोगियों से अध्यक्ष प्रो. ईश्वरशरण विश्वकर्मा ने बात कर उन्हें आश्वस्त करने का प्रयास किया कि विज्ञापन-46 के शेष विषयों के साक्षात्कार शीघ्र कराए जाएंगे और विज्ञापन-47 की परीक्षा के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। जबकि उन्होंने मार्च अंत तक इन परीक्षाओं की प्रक्रिया शुरू करने का ठोस आश्वासन नहीं दिया। इस पर प्रतियोगी आक्रोशित हो उठे। कहा कि आठ मार्च को आयोग की होने वाली बैठक में प्रदेश भर से प्रतियोगी जुटेंगे। उच्च शिक्षा प्रतियोगी मोर्चा के संयोजक पवन कुमार सिंह ने कहा कि चयन प्रक्रिया 11 महीने से रुकी है। पहले तो आयोग का कोरम पूरा नहीं था, अब समिति का गठन हो जाने के बाद भी भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की जा रही है। उच्च शिक्षा प्रतियोगी मंच के अध्यक्ष चंद्रेश पांडेय, युवा मंच के संयोजक राजेश सचान, अध्यक्ष अनिल सिंह आदि ने भी अपने विचार रखे।

UPPSC: आयोग से चयनित अभ्यर्थियों से भी पूछताछ की तैयारी, सीबीआइ जांच से प्रतियोगियों का बढ़ा हौसला

 
इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग की भर्तियों में धांधली के जिस तरह से सीबीआइ को साक्ष्य मिल रहे हैं उससे टीम इस नतीजे पर पहुंची है कि नियमों को ताख पर रखकर मनमाने तरीके से अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। ऐसे में आयोग के अफसरों के अलावा सीबीआइ अपनी जांच की जद में उन्हें भी लाने की तैयारी में है जिन्होंने मेधावियों का हक मारकर प्रशासनिक सेवाओं में कब्जा किया। 1गौरतलब है कि सीबीआइ की टीम आयोग की एक अप्रैल, 2012 से 31 मार्च, 2017 के बीच हुई सभी भर्तियों की जांच कर रही है। इनमें पीसीएस 2015, पीसीएस जे 2015, लोअर सबऑर्डिनेट 2013 व आरओ-एआरओ 2013 की जांच प्रथम चरण में होनी है। सीबीआइ अफसर इन परीक्षाओं से संबंधित सभी डाटा खंगाल रहे हैं। आयोग में फिलहाल इन परीक्षाओं से संबंधित कंप्यूटरों से डाटा की इमेजिंग स्कैनिंग चल रही है। अब तक प्रतियोगियों से मिली शिकायतों और उनके आधार पर हुई पड़ताल में सीबीआइ तेजी से इस नतीजे की ओर बढ़ रही है कि पांच साल के दौरान हुई भर्तियों में बड़ी संख्या में अयोग्य लोग चयनित हुए हैं। ऐसे में जांच का ठोस परिणाम हासिल करने के लिए सीबीआइ अफसरों के निशाने पर ऐसे लोग भी आएंगे जिनका चयन अवैध तरीके से हुआ। सूत्र बताते हैं कि परीक्षाओं में सफल हुए अभ्यर्थियों से पूछताछ की तैयारी हो रही है।

इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से पांच साल के दौरान हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच ने उन प्रतियोगियों का हौंसला बढ़ाया है जो अब तक यह मानकर बैठे थे कि इंसाफ के लिए लड़ने से कोई फायदा नहीं। इलाहाबाद में स्थायी या अस्थायी रूप से रहने वाले ही नहीं, प्रदेश के विभिन्न जिलों से भी प्रतियोगियों के कदम सीबीआइ के कैंप कार्यालय की ओर निकल पड़े हैं। आयोग की सीबीआइ जांच शुरू हुए 23 दिन ही हुए हैं। इन दिनों में सैकड़ों प्रतियोगियों ने कैंप कार्यालय पहुंचकर अपनी शिकायतें दर्ज कराई। सूत्र बताते हैं कि सीबीआइ के पास पांच सैकड़ा से अधिक शिकायतें दर्ज हुई हैं। एसपी राजीव रंजन के ई-मेल पर प्राप्त होने वाली शिकायतें इससे कहीं ज्यादा हैं। अधिकांश शिकायतें पीसीएस 2015, पीसीएस जे 2015, लोअर सबॉर्डिनेट 2013 और समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा 2013 को लेकर हुई हैं। इनमें कई प्रतियोगियों के मामले कोर्ट में भी हैं। हालांकि लिखित शिकायतें अपने रजिस्टर पर दर्ज करने से पहले सीबीआइ अफसर इनसे पुख्ता जानकारी भी ले रहे हैं कि उनकी शिकायतों में कितना दम है। इलाहाबाद के गोविंदपुर स्थित सिंचाई विभाग के डाक बंगले में कैंप कार्यालय पर कई जिलों से प्रतियोगियों या उनके अभिभावकों का आने का सिलसिला जारी है। गुरुवार को भी कई लोग पहुंचे। सीबीआइ इन्हीं प्रतियोगियों से भर्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप की सच्चाई उजागर करने की कवायद कर रही है। सीबीआइ अफसरों और आयोग की मनमानी का शिकार प्रतियोगियों के बेहतर तालमेल से आयोग की पोल खुलने के आसार तेजी से बनने लगे हैं।जज्बा जगा रहे अवनीश पांडेय1आयोग में पूर्व अध्यक्ष डा. अनिल यादव के नेतृत्व वाली परीक्षा समिति के कारनामे का शिकार हुए प्रतियोगियों में उम्मीद की रोशनी अवनीश पांडेय की जज्बे से जगी। भर्तियों में पूर्व अध्यक्ष की मनमानी के खिलाफ 10 फरवरी 2013 को अवनीश पांडेय ने जो मुहिम शुरू की उसके बाद उन्हें अन्य प्रतियोगियों का जबर्दस्त समर्थन मिला। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की तरफ से उन्होंने 10 फरवरी 2014 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर आयोग से हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच की मांग की।

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