बागपत : शिक्षिकाओं की पसंद गाजियाबाद और नोएडा, शनिवार को बीएसए दफ्तर पर अंतरजनपदीय तबादलों के लिए काउंस¨लग को बीएसए दफ्तर पर शिक्षिकाओं की भीड़ लगी रही।
बागपत : शनिवार को बीएसए दफ्तर पर अंतरजनपदीय तबादलों के लिए काउंस¨लग को बीएसए दफ्तर पर शिक्षिकाओं की भीड़ लगी रही। बागपत से दूसरे जिलों में जाने के लिए 197 शिक्षक-शिक्षिकाओं ने ऑनलाइन आवेदन किया है। बीएसए योगराज ¨सह ने इनकी काउंस¨लग तथा शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच को खंड शिक्षा अधिकारियों के नेतृत्व में पांच टीम बनाई।
दूसरे जिलों में जाने को जिन शिक्षकों ने आवेदन किया है उनमें 95 फीसद महिलाएं हैं। अस्सी फीसद शिक्षिकाओं ने गाजियाबाद और नोएडा जिला मांगा है। बाकी 15 फीसद शिक्षिकाओं ने मेरठ और बाकी पांच फीसद शिक्षिकाओं ने शामली, मुजफ्फरनगर, बुंलदशहर या अन्य जिलों में तबादला मांगा है। दोपहर 12 से शाम छह बजे तक काउंस¨लग चली। काउंस¨लग से पहले बीएसए ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों की बैठक लेकर उन्हें काउंस¨लग करने का तरीका और शासन के नियम से अवगत कराया। हिदायत दी कि नियमों के तहत ही काउंस¨लग की जानी चाहिए। किसी तरह की शिकायत नहीं आनी चाहिए। बीएसए ने बताया कि काउंस¨लग का काम पूरा कर लिया है। अब इनके आवेदन बेसिक शिक्षा परिषद सचिव को फारवर्ड कर दिए जाएंगे।
पापा ने संभाला मुन्ना
बागपत: काउंस¨लग के दौरान अनेक शिक्षिकाओं के साथ उनके पति आए थे ताकि वे छोटे बच्चों को संभाल सकें। बीएसए दफ्तर पर पापा की गोद में जब मुन्ना रोने लगता तो वह उसे चुप करने में लग जाता। कई बच्चों को तो भूखा रहना पड़ा, क्योंकि मम्मी व्यस्त थीं।
नोएडा नहीं मिला तो नौकरी छोड़ देंगी
बागपत:बीएसए दफ्तर में काउंस¨लग को आई शिक्षिकाओं को कहते सुना कि चाहे कुछ भी हो तबादला कराकर ही रहेंगी। एक शिक्षिका बोली कि चाहे मंत्री से सिफारिश करानी पड़े, लेकिन नोएडा में ही पो¨स्टग लेकर रहूंगी। नोएडा तबादला नहीं हुआ तो नौकरी छोड़ देंगी। पति तो पहले ही कह चुके हैं कि मैं अच्छा-खासा कमा रहूं और बढि़या सरकारी जॉब में हूं। फिर तुम क्यों बिना वजह स्कूल में पढ़ाने जातीं हो।..यह तो मैं हूं जो नौकरी नहीं छोड़ रही। यह सुन दूसरी शिक्षिका कहने लगी कि डेली दिल्ली से अप-डाउन करतीं हूं। यह तो अच्छा है, गाड़ी से आती-जाती हूं। गाड़ी की बात सुन दूसरी शिक्षिका ने पूछा काफी पैसा तो तेल में खर्च हो जाता होगा। फिर घर के लिए क्या बचाती हो? यह सवाल सुन उसने जवाब दिया कि टाइम पास करने को नौकरी कर रहीं हूं। वरना पति सरकारी जॉब में बहुत बड़े पद पर हैं। कई शिक्षिकाओं को कहते सुना कि न उनके पास पैसा और न सिफारिश। इसकी आवश्यकता भी नहीं है, क्योंकि योगी सरकार में सबकुछ सही होगा।
पैसा फेंकों तमाशा देखो..
भीड़ में एक शिक्षिका को साथी शिक्षिका से कहते सुना कि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार तो शिक्षा विभाग में ही है। पैसा फेंको और तमाशा देखो। यहां की काउंस¨लग से क्या हो रहा है? जो ऊपर जुगाड़ कर लेगा उसे मनचाहा जिला मिल जाएगा। नेताओं का क्या जो जाएगा, फोन कर देंगे। लेकिन काम तो नहीं होगा। हमने तो सीधा फंडा अपना रखा है कि जब काम ही कराना है तो पैसा फेंका।
चमचमाती गाडि़यों में मैडम जी
बागपत: अपवाद छोड़ दें तो अधिकांश शिक्षिकाएं चमचमाती गाडियों में काउंस¨लग के लिए आई। कई शिक्षिकाएं खुद गाड़ी चलाकर आई तो कई के पास ड्राइवर थे। इन्हें देख राह चलते कई लोगे बोले कि इन्हें क्या कमी है। हर माह पचास-साठ हजार रुपये वेतन मिलता है।