नई दिल्ली : PPF के नियमों में बदलाव से निवेशकों को फायदा होगा, नियमों में बदलाव करके सरकार इस स्मॉल सेविंग्स स्कीम में निवेश बनाना चाहती है आसान
फाइनेंस मिनिस्ट्री ने एक नोटिफिकेशन में कहा है कि डिपॉजिटर्स को जो बेनेफिट्स मिले हुए हैं, उनमें से किसी को भी वापस नहीं लिया जा रहा है। उसने पब्लिक प्रॉविडेंट फंड के नियमों में बदलाव पर स्पष्टीकरण भी जारी किया है ।
गवर्नमेंट सेविंग्स सर्टिफिकेट्स एक्ट 1959 और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड एक्ट 1968 को गवर्नमेंट सेविंग्स बैंक्स एक्ट 1873 में मिलाने का प्रस्ताव किया गया है। नोटिफिकेशन के मुताबिक, ‘एक कानून बनाने के प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य जमाकर्ताओं के लिए चीजों को आसान बनाना है क्योंकि अलग-अलग एसएसएस स्मॉल सेविंग्स स्कीमों के प्रोविजन को समझने के लिए उनको अलग-अलग नियम-कानूनों से गुजरना नहीं पड़ेगा। इसका मकसद निवेशकों को कुछ सहूलियत भी मुहैया कराना है।’
सरकार ने पीपीएफ एकाउंट्स को समय से पहले बंद करने की सहूलियत देने का प्रस्ताव किया गया है। फाइनेंस मिनिस्ट्री की तरफ से जारी बयान के मुताबिक मेडिकल इमर्जेंसी या हायर एजुकेशन के लिए पैसों की जरूरत पड़ने जैसी आपात स्थितियों में पीपीएफ एकाउंट को समय से पहले बंद किया जा सकेगा। मौजूदा नियमों के तहत पीपीएफ एकाउंट को पांच फाइनेंशियल ईयर से पहले बंद नहीं कराया जा सकता।
वित्त विधेयक 2018 में प्रस्तावित प्रावधानों के मुताबिक नाबालिग की तरफ से अभिभावक स्मॉल सेविंग्स स्कीमों में निवेश कर सकते हैं और अभिभावक को उससे संबंधित कुछ अधिकार और जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं। नोटिफिकेशन के मुताबिक, बच्चों में बचत को बढ़ावा देने के लिए नया कदम उठाया गया है।
शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को उनके नाम पर छोटी बचत योजनाएं चलाने में मदद के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। कानून में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर्स के मुताबिक नए प्रावधान इसलिए किए गए हैं कि छोटी बचत योजनाओं में निवेश करने वाले की मौत हो जाने पर उसके निवेश को लेकर कोई विवाद पैदा ना हो। विवाद के तुरंत और सौहार्दपूर्ण निपटारे के लिए शिकायत निपटारा व्यवस्था की गई है। पोस्ट ऑफिस सेविंग्स एकाउंट, नेशनल सेविंग्स मंथली इनकम, नेशनल सेविंग्स रेकरिंग डिपॉजिट, पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना छोटी बचत योजनाओं में शामिल हैं।
सरकार ने यह भी कहा है कि निवेशकों को जो भी बेनेफिट्स मिल रहे हैं उनमें से किसी को वापस नहीं लिया जाएगा। इसमें खासतौर पर पीपीएफ से जुड़े इस तथ्य की तरफ इशारा किया गया है कि इसमें जमा रकम कोर्ट ऑर्डर पर भी जब्त नहीं की जा सकती। सबसे पॉपुलर सेविंग्स स्कीमों में बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले पीपीएफ पर ज्यादा ब्याज मिलता है और इसमें कुछ इनकम टैक्स बेनेफिट्स भी मिलते हैं: पीपीएफ कंट्रीब्यूशन, इंटरेस्ट और मैच्योरिटी की रकम, सब टैक्स फ्री है। एक फाइनेंशियल ईयर में किए गए डेढ़ लाख रुपये तक के कंट्रीब्यूशन पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन का फायदा मिलता है।