इलाहाबाद : पीसीएस मेंस 2015, मॉडरेटर के नाम बताने में छूटे पसीने, सीबीआइ अड़ी: भर्तियों में भ्रष्टाचार खंगाल रहे हैं सीबीआइ के जांच अधिकारी, गहनता से की पूछताछ
इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग की भर्तियों में भ्रष्टाचार की सीबीआइ तेजी से कर रही है। सीबीआइ अफसरों ने पीसीएस (मुख्य) परीक्षा 2015 की उत्तर पुस्तिकाओं में मॉडरेशन के नाम पर हुई मनमानी पर संबंधित अधिकारियों से सवाल किए तो जवाब देने में उनके पसीने छूट गए।
आयोग के अधिकारियों ने गोपनीयता का हवाला देते हुए मॉडरेटर का नाम नहीं बताया, जबकि सीबीआइ अफसर मॉडरेटर का नाम पूछने पर ही अड़ गए हैं। सूत्र बताते हैं कि सीबीआइ टीम अपने स्तर से उन संदिग्ध अधिकारियों और कर्मचारियों को चिन्हित कर चुकी है जिन्होंने उत्तर पुस्तिकाओं में मॉडरेशन किया, जबकि यह कार्य विशेषज्ञों के पैनल से होता है। कई दिनों से आयोग में डेरा डाले सीबीआइ अफसर भर्तियों की जांच के दो महीने बाद भ्रष्टाचार की असली जड़ को पकड़ सके हैं। पीसीएस की मुख्य परीक्षा में दरअसल नंबरों की स्केलिंग और मॉडरेशन की प्रक्रिया अपनाई जाती है। मॉडरेशन किसी अनिवार्य विषय की कापियों को जांच कर नंबर देने और उसे मॉडल कापी बनाने की व्यवस्था है जिसे विशेषज्ञों के पैनल से करवाया जाता है। इस मॉडल कापी में नंबरों में कटिंग या छेड़छाड़ नहीं की जाती है, जबकि पीसीएस 2015 की मुख्य परीक्षा में बड़ी संख्या में अनिवार्य विषय की उत्तर पुस्तिकाओं में नंबर बदले गए। मूल कापियों की जांच के दौरान सीबीआइ ने बुधवार को आयोग में संबंधित अफसरों से मॉडरेटर का नाम पूछ लिया। सूत्रों के अनुसार मॉडरेशन के नाम पर अंकों का हेरफेर किया गया। मॉडरेशन केवल अनिवार्य विषय में ही होना चाहिए लेकिन, सीबीआइ को इसके प्रमाण मिले हैं कि ऐच्छिक विषय में भी मॉडरेशन के नाम पर खेल किया गया। सीबीआइ को इसके पुख्ता प्रमाण मिल गए हैं कि आयोग के अध्यक्ष और सदस्य ही नहीं बल्कि अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी भ्रष्टाचार के सहभागी रहे हैं।