लखनऊ : 2018-19 में पहले ही दिन से बजट खर्च कर सकेंगे विभाग
-वित्तीय वर्ष शुरू होने से पूर्व ही सरकार ने जारी की गाइड-लाइन
-एक अप्रैल से ही विभाग बजट खर्च करने लगेंगे
-नये निर्माण कार्य में पांच करोड़ से अधिक की वित्तीय स्वीकृति वित्त विभाग की सहमित से
-दो करोड़ तक का भुगतान प्रशासकीय विभाग ही करेंगे
-कार्यदायी संस्थाएं सरकारी धन पर ब्याज कमाएंगी तो खजाने में जमा कराना होगा
हिन्दुस्तान टीम, लखनऊ । हर साल वित्तीय वर्ष के अंत में बजट खपाने की मारा-मारी और बचे हुए बजट को सरेंडर किए जाने की प्रथा पर रोक लगाने की तैयारी प्रदेश सरकार ने की है। वित्तीय वर्ष के पहले ही दिन से विभाग जनहित की योजनाओं के साथ ही विभाग के जरूरी कामों का बजट खर्च करना शुरू कर देंगे। इसके लिए शासन ने पहली बार 2018-19 के बजट को खर्च करने की विस्तृत गाइड लाइन जारी कर दी है।
खर्च की नई मदों, अंशपूंजी विनियोजना, ऋण एवं अग्रिम, परियोजनाओं के पुनरीक्षित आगणन से संबंधित वित्तीय स्वीकृतियों में वित्त विभाग की सहमति लेनी होगी। चालू योजनाओं और परियोजनाओं की वित्तीय स्वीकृति प्रशासकीय विभाग ही जारी करेंगे। व्यवस्थित योजनाएं, कार्यक्रम, (केंद्र पोषित, वाह्य सहायता तथा राज्य व जिला सेक्टर) जिनमें राज्य सरकार द्वारा लाभार्थी गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) को किसी प्रकार की सब्सिडी अथवा सहायता दी जानी है ऐसी सभी योजनाओं के लिए मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के पश्चात वित्तीय स्वीकृतियां प्रशासकीय विभाग जारी करेंगे। अनुदानित संस्थाओं के वेतन, भत्ते भुगतान के मामलों में पिछले वर्ष की कोई धनराशि बची है तो उसका समायोजन करने के पश्चात वित्तीय स्वीकृतियां जारी करने का निर्देश है।
*छात्रवृत्ति, पेंशन और सहायता योजनाएं*
छात्रवृत्ति, वृद्धावस्था व किसान पेंशन, निराश्रित महिलाओं तथा दिव्यांगजनों के लिए भरण पोषण सहायता सक्षम स्तर से अनुमोदन के बाद आवश्यक धनराशि की स्वीकृति प्रशासकीय विभाग करेंगे। कोषागार से धनराशि तभी निकाली जाएगी जब खर्च की जरूरत होगी। विभागीय मोटर गाड़ियों की खरीद के लिए वित्त विभाग की सहमति लेना अनिवार्य किया गया है।
*लागत मूल्य बढ़ने से रोकने का है प्रबंध*
निर्माण कार्य जिनमें प्रशासकीय विभाग द्वारा आगणन और मूल्यांकन किया जाना है ऐसे प्रकरणों में वित्तीय स्वीकृतियां जारी करने से पूर्व विभाग के प्रभारी मंत्री से राज्य सरकार द्वारा अधिकृत कार्यदायी संस्था का चयन कराना होगा। कार्यदायी संस्था का चयन होने के बाद अपरिहार्य परिस्थितियों में ही नई संस्था का चयन किया जा सकेगा। संस्था नहीं बदले जाने से परियोजना की लागत बढ़ने की संभावनाएं नहीं रहेंगी और काम समय में पूरा हो सकेगा। कार्यदायी संस्था द्वारा यदि योजना की धनराशि पर बैंक से ब्याज बनाया जाता है तो ऐसी स्थिति में ब्याज की धनराशि को सरकारी खजाने में जमा कराना होगा। प्रशासकीय विभागों को 15 अप्रैल तक मंत्रिपरिषद के समक्ष पैरा-94 के तहत जारी सभी स्वीकृतियों का ब्यौरा दे देना है।
*पुनरीक्षित वेतन के बकाए के भुगतान की व्यवस्था*
वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट में एक जनवरी 2016 से पुनरीक्षित वेतन के बकाए के भुगतान की व्यवस्था की गई है। वित्त वेतन आयोग अनुभाग-दो के शासनादेशों के मुताबिक 01 जनवरी 2016 से 31 दिसंबर 2016 तक के पुनरीक्षित वेतन के 50 फीसदी अवशेष के भुगतान की वित्तीय स्वीकृतियां प्रशासकीय विभाग जारी कर सकेंगे।
*धनराशि पीएलए/डिपाजिट खाते में जमा करने पर रोक*
सरकार ने योजनाओं के लिए प्राविधानित धनराशि की स्वीकृति के बाद पीएलए/डिपाजिट खाते में जमा करने पर रोक लगा दी है। विशेष परिस्थतियों में वित्त विभाग की सहमति तथा मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद ही डिपाजिट खाते में धनराशि जमा की जा सकेगी। जिला योजनाओं की धनराशियां सीधे जिला स्तरीय अधिकारियों को जारी की जाएंगी।