लखनऊ : घटती छात्रसंख्या से एनसीटीई चेता, 2019-20 में नए बीएड कॉलेजों को मान्यता नहीं - युवाओं में इन कोर्सों का घट रहा है
हिन्दुस्तान टीम, लखनऊ : राज्य मुख्यालय। प्रदेश में शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की बहुतायत और उनमें घट रही छात्र संख्या के मद्देनजर राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई)2019-20 में भी बीएड/डीएड के कॉलेजों को मान्यता नहीं देगी। वहीं डीएड की भी नई मान्यता एनसीटीई जारी नहीं करेगा।
इसके अलावा कॉलेजों में सीटों में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। हालांकि ऐसा नहीं है कि इसके बाद प्रदेश में नए बीएड या बीटीसी कॉलेज नहीं खुलेंगे। बीते वर्ष एनसीटीई से मान्यता प्राप्त कर चुके कॉलेज प्रदेश सरकार से सम्बद्धता लेकर उसे चालू कर सकेंगे। लेकिन 2019-20 के सत्र में कोई नया कॉलेज नहीं खुलेगा।
इसके पीछे मंशा है कि मौजूदा कॉलेजों में गुणवत्ता बढ़ाई जाए और बीएससी-बीएड और बीए-बीएड के इंट्रीग्रेटेड कोर्स को भी बढ़ावा मिले। अब सरकार की मंशा है कि शिक्षक बनने का प्रशिक्षण व्यक्ति 12वीं के बाद ही ले और इंटीग्रेटेड कोर्स के माध्यम से प्रशिक्षण हासिल करे। दरअसल बीच के वर्षों में बीटेक-एमबीए की डिग्री रखने वाले युवाओं की संख्या शिक्षक प्रशिक्षण के कोर्सों में ज्यादा ही रही। इंटीग्रेटेड कोर्स के माध्यम से वही युवा इसका प्रशिक्षण लेंगे जो वाकई शिक्षक बनना चाहते हैं, न कि अन्य कॅरिअर में सफलता न मिलने पर मजबूरी में शिक्षक बनना चाहे।
*घट रहा है क्रेज-*
दरअसल सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती की शुरुआत के साथ ही प्रदेश में बीएड-बीटीसी के निजी कॉलेज खुले। युवाओं में सरकारी नौकरी के क्रेज ने इन कोर्सों की लोकप्रियता बढ़ाई। लेकिन भर्ती के अनुपात में इन कोर्सों में सीटों की संख्या कई गुना ज्यादा बढ़ गई। प्रदेश में इस समय लगभग 2-2 लाख बीएड व बीटीसी की सीटें हैं!