SHIKSHAK BHARTI, MEETING, CM : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68,500 शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ, अब अर्हता नहीं चयन प्रक्रिया का हिस्सा होगी शिक्षक भर्ती परीक्षा
लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित की जाने वाली लिखित परीक्षा भर्ती के लिए निर्धारित अर्हता नहीं बल्कि चयन प्रक्रिया का हिस्सा होगी। इस बदलाव को अंजाम देने के लिए मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 में संशोधन के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई। माना जा रहा है कि नियमावली में यह संशोधन कर सरकार ने परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68,500 शिक्षकों की भर्ती के लिए 12 मार्च को प्रदेश के सभी मंडल मुख्यालयों पर आयोजित होने वाली लिखित परीक्षा के आड़े आ रही तकनीकी बाधा से पार पा लिया है। यह पहला मौका है जब प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की जा रही है। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती पहले शैक्षिक गुणांक के आधार पर होती थी। योगी सरकार ने शिक्षकों की भर्ती के लिए शैक्षिक गुणांक के अलावा लिखित परीक्षा को भी आधार बना दिया।
शिक्षकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा को अनिवार्य बनाने के लिए सरकार ने उप्र बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली, 1981 में संशोधन किया था। उस समय लिखित परीक्षा को नियमावली के नियम-8 में शामिल कर दिया गया था। नियम-8 अर्हता से संबंधित है। कुछ अभ्यर्थियों ने सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। यह दलील देते हुए कि प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए शैक्षिक अर्हता तय करने का अधिकार राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को है, न कि राज्य सरकार को।
अभ्यर्थियों का यह भी तर्क था कि जब एनसीटीई ने शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी को अर्हता परीक्षा घोषित कर रखा है तो फिर अलग से लिखित परीक्षा आयोजित कराने की क्या जरूरत है। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था। राज्य सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा था। कोर्ट के रख को देखते हुए सरकार ने बचाव का रास्ता निकालते हुए प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित की जाने वाली लिखित परीक्षा को अर्हता संबंधित नियम-8 से हटाकर उसे नियमावली के नियम-14 में शामिल करने का फैसला किया है।