ALLAHABAD HIGHCOURT, TRAINEE TEACHERS, SHIKSHAK BHARTI : 72825 भर्ती में फिर आया नया मोड़, योग्य अभ्यर्थी की नियुक्ति दो माह में करने का निर्देश, 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती में योग्य अभ्यर्थियों की सूची शामिल होने पर भी नहीं मिली नियुक्ति
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया में योग्य घोषित याची की नियुक्ति पर दो माह में विचार करने का सचिव उप्र बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद को निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने इलाहाबाद के प्रभात कुमार पांडेय की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता शरद चंद्र सिंह ने बहस की।1याची के अधिवक्ता का कहना था कि सर्वोच्च न्यायालय में राज्य सरकार ने बताया कि 75 हजार अर्जियों में से 12091 लोगों को योग्य पाया गया, जबकि सरकार का यह भी कहना था कि प्रदेश में 14 हजार पद खाली हैं। शीर्ष कोर्ट ने छह हफ्ते में सभी योग्य लोगों को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया। याची का कहना है कि सूची में क्रमांक 6484 पर उसका नाम है लेकिन, उसे नियुक्ति नहीं दी जा रही है। जबकि, पद खाली है। परिषद के सचिव के अधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि याची के दावे पर विचार किया जाएगा। इस पर कोर्ट ने दो माह में कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।
प्रत्यावेदन छह हफ्ते में निर्णीत करने का निर्देश : हाईकोर्ट ने इसी भर्ती मामले में एक अन्य निर्देश तिवारी तथा 27 अन्य की याचिका पर दिया है। इसमें कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा उप्र को 72825 सहायक अध्यापक के खाली बचे 1536 पदों पर नियुक्ति की मांग में दाखिल प्रत्यावेदन छह हफ्ते में निर्णीत करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश देते हुए न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने कहा है कि याचिका लंबित रखने का औचित्य नहीं है। सरकार की तरफ से ऐसा निर्देश जारी करने पर आपत्ति नहीं की गई है।
याचीगण का कहना है कि शीर्ष कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने योग्य अभ्यर्थियों की सूची को मान्य करते हुए नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है। याची का कहना है कि 66655 पदों में से 64257 पद भरे जा चुके हैं। 862 तदर्थ हैं, 1536 पर नियुक्ति प्रक्रिया जारी है। एससीईआरटी की मानें तो केवल 6515 पद ही भरे जा सके हैं। याचियों ने नियुक्ति पत्र जारी करने की मांग में प्रत्यावेदन दे रखा है जिस पर फैसला नहीं लिया जा रहा है। याचिका पर अधिवक्ता वीसी चौधरी ने बहस की।