उन्नाव : बेसिक शिक्षा की नई किताब में पुराने नोट
लापरवाही, पाठ्यक्रम में नए नोट शामिल ही नहीं
जागरण संवाददाता, उन्नाव : बेसिक शिक्षा के आधारभूत ढांचे में बदलाव की चल रही हिमायत और कवायद के बीच पढ़ाई में पुराने ज्ञान से नाता नहीं टूट रहा है। पुराने नोटों के चलन से बाहर होने के बाद भी पाठ्यक्रम में नए नोट चलन में नहीं आ सके हैं। उत्तर प्रदेश राज्य शिक्षा संस्थान के तहत पाठ्य पुस्तक विभाग शिक्षा से प्रकाशित नई किताबें अभी भी पुराने नोटों की जानकारी देकर पाठ्यक्रम शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद व्यवस्था का मखौल उड़ा रही हैं। इसका ताजा उदाहरण वर्ष 2017-18 में कक्षा चार और पांच के गणित विषय के लिए प्रकाशित पुस्तक ‘आओ पढ़ें-लिखें’ में देखने को मिल रहा है। इसमें पुराने नोट व सिक्कों की तस्वीर दिखाकर लिखा गया है कि आजकल प्रयोग किए जा रहे सिक्कों व नोटों को जानें।
बेसिक शिक्षा विभाग नि:शुल्क पाठ्यक्रम पुस्तकों का वितरण करता है। वर्ष 2017-18 के लिए नई पुस्तकें छप कर आ गई हैं। बुर्दा ड्रक इंडिया प्रा.लि ग्रेटर नोएडा, पाठ्य पुस्तक विभाग शिक्षा निदेशालय बेसिक ने कक्षा चार व पांच के लिए गणित विषय की पुस्तक 36 पृष्ठों की छापी है। पृष्ठ संख्या 35 व 36 में भारतीय मुद्रा के चित्र प्रकाशित किए गए हैं जिनमें पुराने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट शामिल हैं। पांच सौ रुपये का नया नोट भी आ गया, लेकिन किताब में पुराने को ही तवज्जो दी गई। ऐसे में बच्चे भारतीय मुद्रा के बारे में कितनी सही जानकारी पाएंगे, अंदाजा लगा सकते हैं। प्रभारी बीएसए नसरीन फारुकी ने बताया कि मैंने अभी किताब खोल कर नहीं देखी हैं। यदि कोई त्रुटि किताब में देखी जाती है, उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।पुस्तक की अध्ययन सामग्री में जो नोट और सिक्के प्रकाशित किए गए हैं उनमें 50 पैसे का सिक्का भी प्रदर्शित किया गया है। बाजार में आए दो सौ रुपये का नोट भी अध्ययन सामग्री में शामिल नहीं है। पुस्तक के पृष्ठ संख्या तीन पर शिक्षा निदेशक बेसिक डा. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह का शिक्षक और प्रशिक्षकों के लिए भी लेख दिया गया है। बताते हैं कि नई पुस्तकों को पहले प्रशिक्षक समङोंगे और फिर इसी पुस्तक से डायट में शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा।