लखनऊ : सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों का पूरा खर्च उठाएगी सरकार
हिन्दुस्तान टीम, इलाहाबाद । इलाहाबाद विश्वविद्यालय और इससे जुड़े 11 कॉलेजों के शिक्षकों एवं कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों का लाभ मिलने की राह आसान हो गई है। यूजीसी के सचिव प्रो. रजनीश जैन की ओर से मंगलवार को जारी पत्र में कहा गया है कि सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों को लागू करने के उपरांत होने वाला पूरा व्यय भार केंद्र सरकार वहन करेगी।
सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियां लागू करते वक्त वित्त मंत्रालय ने कहा था कि जो भी स्वायत्तशाषी संस्थाएं हैं, वहां वेतन आयोग की संस्तुतियां लागू होने के उपरांत जो व्यय भार आएगा, उसका तीस प्रतिशत संबंधित संस्था को अपने संसाधनों से अर्जित आय से वहन करना होगा। शेष 70 प्रतिशत रकम सरकार देगी। केंद्रीय विश्वविद्यालय भी स्वायत्तशाषी संस्थान इसलिए यहां भी यही व्यवस्था लागू हो रही थी।
देशभर के सभी शिक्षक संगठनों की ओर से इसका लगातार विरोध किया जा रहा था। इनका कहना था कि केंद्रीय विश्वविद्यालय स्वायत्तशाषी तो हैं पर मुनाफा कमाने वाली संस्था नहीं हैं। इनके पास अतिरिक्त आय अर्जित करने का कोई ठोस साधन नहीं है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (आटा) के अध्यक्ष प्रो. रामसेवक दुबे और इविवि संघटक महाविद्यालय शिक्षक संघ (ऑक्टा) के अध्यक्ष डॉ. सुनीलकांत मिश्र ने यूजीसी के इस आदेश का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि इविवि और इससे जुड़े कॉलेजों के शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों का लाभ बहुत जल्द मिल जाएगा।
*इविवि वित्त समिति ने कर दिया था इनकार*
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की वित्त समिति की पिछले सप्ताह हुई बैठक में भी यह मसला उठा था। इविवि की ओर से समिति की बैठक में लिखकर दे दिया गया था कि उसके पास कोई भी ऐसा संसाधन नहीं है, जिससे सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियां लागू किए जाने से होने वाले व्ययभार को वहन किया जा सके। समिति के माध्यम से इविवि ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी से इस प्रतिबंध को हटाने की मांग की थी।