महराजगंज : विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों की भूमिका अहम, मार्गदर्शक के रूप में कार्य करें प्रधानाचार्य
महराजगंज : विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों की भूमिका अहम है। प्रधानाध्यापक विद्यालय में बेहतर शैक्षिक वातावरण विकसित करने के लिए शिक्षकों के मार्गदर्शक के रूप में कार्य करें। शिक्षकों को कुछ नया व अलग करने के लिए प्रोत्साहित भी करें। यह बातें डायट परिसर में आयोजित प्रधानाध्यापकों के क्षमता संवर्द्धन शिविर के समापन के दौरान प्रमाणपत्र वितरित करते हुए प्रशिक्षण प्रभारी रामजी ने कही। उन्होंने कहा कि परिषदीय स्कूलों के प्रति आमजन का विश्वास बढ़ाने के लिए सामूहिक रूप से सभी को पहल करनी होगी। प्रशिक्षक रवींद्र ¨सह ने कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के लागू होने के बाद शिक्षा क्षेत्र में स्थितियां काफी बदल गई हैं, फिर भी हमें अपने दायित्वों व कर्तव्यों के प्रति ईमानदार रहना होगा। हेसामुद्दीन ने कहा कि प्रधानाध्यापक संबंधित विद्यालय में तैनात शिक्षकों की कार्यक्षमता को देखते हुए उन्हें शिक्षण कार्य से जोड़ने का कार्य करें। इस दौरान प्रतिभागी प्रधानाध्यापक मौजूद रहे।
विद्यार्थियों में करें समावेशी गतिविधियों का विकास
परिषदीय स्कूलों में प्रारंभिक शिक्षा लेने आने वाले गरीब विद्यार्थियों के सोचने-समझने की क्षमता अलग होती है। ऐसे में शिक्षकों का दायित्व है कि वे उनमें समावेशी गतिविधियों का विकास कर उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ें। यह बातें जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित शिक्षकों के समावेशी विषय के प्रशिक्षण का शुभारंभ करते हुए प्रशिक्षक मनीषा लाल ने कहीं। उन्होंने कहा कि तीन दिन तक चलने वाले इस प्रशिक्षण की सार्थकता तभी है जब शिक्षक विद्यालय स्तर पर सभी बच्चों को समान तरीके से शिक्षा प्रदान करने में सफल हो।
शिक्षकों ने सीखा कला व संगीत का गुर
डायट में चल रहे तीसरे बैच के कला क्राफ्ट प्रशिक्षण में शिक्षकों ने कला व संगीत का गुर सीखा। गुरूवार से प्रारंभ हुए निचलौल व फरेंदा ब्लाक के शिक्षकों के प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षिका प्रीति पाल ने कहा कि सभी शिक्षकों को कला व संगीत से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए। शिविर में अल्का मलिक, ममता, तबस्सुम आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। शिक्षकों ने ग्रुप में बंटकर टीएलएम के माध्यम से अपनी प्रतिभा दिखाई।
योग शिविर का भी हुआ शुभारंभ
डायट में परिषदीय शिक्षकों के योग शिविर का भी गुरूवार से शुभारंभ हुआ। तीन दिन तक चलने वाले शिविर में प्रशिक्षक वरेश कुमार ने कहा कि योग से जुड़कर शिक्षक स्वयं स्वस्थ रह सकते हैं तथा स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी स्वस्थ बना सकते हैं। प्रशिक्षक सत्यप्रकाश व शीतल मिश्र ने भी अपने विचार व्यक्त किए।