इलाहाबाद : अब मांग, पूर्व सीएम अखिलेश यादव की संपत्ति भी जांचे एजेंसी, उप्र लोकसेवा आयोग से हुई भर्तियों में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भूमिका पर सवाल उठे
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से हुई भर्तियों में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भूमिका पर सवाल उठे हैं। कहा जा रहा है कि उनकी सहमति के बिना आयोग से हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार संभव नहीं था। यह दावा प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की ओर से किया गया है और सीबीआइ को पत्र देकर अखिलेश यादव की भर्तियों में भूमिका, उनकी संपत्ति की जांच करने की मांग की गई है। समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय ने सीबीआइ के एसपी को मांत्र पत्र सोमवार को भेजा।
इसमें लिखा है कि आयोग के पूर्व व मौजूदा अध्यक्ष/ सदस्यों तथा अखिलेश यादव की घनिष्ठता की पड़ताल की जाए। अवनीश ने कहा है कि अखिलेश यादव ने नियमों को अनदेखा कर आगरा के हिस्ट्रीशीटर अनिल यादव को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया। सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत डॉ. अनिल यादव के बारे में मांगी गई जानकारी में तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक ने आख्या में शून्य बताया, जबकि कोर्ट को दिए हलफनामा में राज्य सरकार ने अनिल यादव का अपराधिक इतिहास बताया है। इसके बाद आगरा के एसपी ने बताया था कि अनिल यादव ‘तड़ीपार’ तक हो चुके हैं। पांडेय के अनुसार, मैनपुरी के जिलाधिकारी से लेकर कानूनगो तक ने रविवार के दिन अनिल यादव के चरित्र का सत्यापन किया जो यह सिद्ध करता है कि भर्तियों में भ्रष्टाचार करने के लिए अनिल यादव की बतौर अध्यक्ष नियुक्ति सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री की शह पर की गई।
वर्तमान अध्यक्ष और सदस्यों पर भी आरोप
सीबीआइ के एसपी को भेजे पत्र में आयोग के वर्तमान अध्यक्ष अनिरुद्ध यादव और सदस्यों पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अधिकांश आरोप इनकी शैक्षिक योग्यता में असल तथ्यों को छिपाने के हैं।