इलाहाबाद : UPPSC साक्षात्कार बोर्ड पर भी गहराने लगा सीबीआइ का शक, जिन परीक्षाओं के साक्षात्कार में चयनितों को अधिक अंक मिले उनके बोर्ड से हो सकती है पूछताछ
इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच के दायरे में साक्षात्कार बोर्ड भी आएगा। विभिन्न परीक्षाओं में गठित बोर्ड और उनमें शामिल विषय विशेषज्ञों से पूछा जाएगा कि उन पर किसी का दबाव था या अभ्यर्थियों को अधिक नंबर उनकी योग्यता के आधार पर दिए। सीबीआइ ने चयनित अभ्यर्थियों के अलावा उनका चयन करने वाले बोर्ड का ब्योरा जुटा लिया है। इसकी अधिक संभावना जताई जा रही है कि जिन परीक्षाओं के दौरान अभ्यर्थियों को अधिक नंबर मिले उनमें गठित साक्षात्कार बोर्ड से पूछताछ पहले होगी।
पीसीएस, पीसीएस जे, लोअर सबॉर्डिनेट, आरओ-एआरओ परीक्षाओं और सीधी भर्ती से हुए चयन में बोर्ड गठन पर मनमानी के भी आरोप हैं। पीसीएस जैसी बड़ी परीक्षाओं के साक्षात्कार बोर्ड गठन के संबंध में तो प्रतियोगियों के आंदोलन के दौरान पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव के इशारे पर नियम का उल्लंघन कर सभी काम होने के आरोप लगे थे। यह आरोप अब भी कायम हैं, जबकि सीधी भर्ती से होने वाले चयन में तो आयोग के अफसरों और साक्षात्कार बोर्ड पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। अब जबकि आयोग से पांच साल के दौरान हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच शुरू हो चुकी है ऐसे में चयनितों के प्राप्तांकों में मिली गड़बड़ी के सबूत के आधार पर सीबीआइ अफसरों के शक की सुई भी साक्षात्कार बोर्ड की ओर घूम गई है। गौरतलब है कि पिछले महीने सीबीआइ के इलाहाबाद स्थित कैंप कार्यालय पर कई प्रोफेसर पहुंचे थे। उन्होंने सीबीआइ अफसरों के सामने अपने बयान दर्ज कराए थे। सूत्र बताते हैं कि इस मुलाकात के दौरान सीबीआइ के एसपी को साक्षात्कार बोर्ड के मनमाने गठन और विशेषज्ञों पर आयोग के दबाव की कई अहम जानकारी मिली थी। ऐसे में पिछले दिनों सीबीआइ ने सभी परीक्षाओं में साक्षात्कार लेने वाले बोर्ड का ब्योरा जुटा लिया है। इनमें यह देखा जा रहा है कि किन-किन परीक्षाओं के साक्षात्कार में अभ्यर्थियों को अप्रत्याशित रूप से अधिक नंबर दिए गए। जबकि लिखित परीक्षा में उन अभ्यर्थियों के प्राप्तांक के नजरिये से उन्हें साक्षात्कार में मिले नंबर पर शक की सुई गहरा गई है। सूत्र बताते हैं कि सीबीआइ ऐसे में संबंधित बोर्ड और उनमें शामिल विशेषज्ञों से पूछताछ की तैयारी में है। जल्द ही इस संबंध में कोई कदम उठाए जाने के आसार प्रबल हैं।