गोण्डा : स्कूलों में सुविधाएं न इंतजाम, सत्र कल से, दो से 30 अप्रैल तक चलेगा स्कूल चलो अभियान, घर-घर दस्तक देंगे गुरुजी, बच्चों का कराएंगे दाखिला
व्यवस्था बेहतर बनाने को हो रहा प्रयास
बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार देव पांडेय का कहना है कि परिषदीय स्कूलों में एक-एककर व्यवस्थाएं बेहतर की जा रही हैं। मेज का टेंडर हुआ है। अध्यापकों की कमी सहित अन्य व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए शासन को अवगत कराया गया है। और अच्छा करने का प्रयास चल रहा है।
अजय पांडेय’ गोंडा । दो अप्रैल से शुरू हो रहे बेसिक शिक्षा विभाग के नए सत्र को लेकर कवायद शुरू कर दी गयी है। अध्यापकों को दो से 30 अप्रैल तक स्कूल चलो अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है, जिसमें वह घर-घर दस्तक देकर परिषदीय स्कूलों में बच्चों का नामांकन कराएंगे लेकिन यहां सुविधा व इंतजाम का अभाव है। भवन जर्जर हैं तो छात्रों के बैठने के लिए मेज, बिजली, पंखा आदि नहीं है। 800 से अधिक स्कूलों में शौचालय खराब हैं तो हैंडपंप दूषित पानी दे रहे हैं। इतना ही नहीं नए छात्रों के पढ़ने के लिए किताबें भी नहीं हैं। शिक्षकों की भी कमी है। वहीं ट्रांसफर प्रक्रिया भी गतिमान है जिससे शिक्षक अभिभावक को बच्चों को बेहतर शिक्षा दे पाने की गारंटी भी नहीं दे सकते हैं। इन हालात में बच्चों का दाखिला कराना गुरुओं के लिए इम्तिहान से कम नहीं है।
परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी- बेसिक शिक्षा विभाग जिले में 2232 प्राइमरी व 893 जूनियर स्कूलों का संचालन करा रहा है, जिनमें सृजित पद के सापेक्ष अध्यापकों की तैनाती की स्थिति भयावह है। आलम यह है कि प्राइमरी में 2200 प्रधानाध्यापक के पद सृजित हैं, जिसमें 1118 पद रिक्त हैं। यानि एक प्रधानाध्यापक पर दो से तीन स्कूलों का प्रभार है। यही हाल सहायक अध्यापक पद पर भी है। कुल स्वीकृत पद 6354 के सापेक्ष 4251 की तैनाती है। पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में भी सहायक अध्यापकों के 541 पद रिक्त हैं। यहां 2014 पद के सापेक्ष 1473 शिक्षक ही कार्यरत हैं।
स्कूलों के भवन जर्जर- बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित 396 स्कूलों के भवन जर्जर हैं, 1777 स्कूल में नहीं है बाउंड्रीवाल नहीं है। जहां बैठकर पढ़ाई करना छात्रों के लिए खतरे से खाली नहीं है। भवन की मरम्मत आदि के लिए कई बार खंड शिक्षा अधिकारी रिपोर्ट भी दे चुके हैं। जिसे जिलाधिकारी से लेकर शासन तक को भेजा जा चुका है लेकिन कार्रवाई के नाम पर सन्नाटा है। वहीं 873 शौचालय खराब हैं जिससे सबसे ज्यादा परेशानी बालिकाओं को होती है। कुर्सी व मेज का भी अभाव है।
नामांकन कराने से कतराते हैं अभिभावक
प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रचार मंत्री वीरेंद्र कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि परिषदीय स्कूलों में सुविधाओं का अभाव है, जिससे छात्र के साथ ही अध्यापक भी परेशान होते हैं। बदइंतजामी के चलते अभिभावक नामांकन कराने के कतराते हैं। कई बार घर पहुंचने पर उनकी बातें भी सुनना पड़ता है।
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