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रामपुर : परीक्षा में कम अंक, फिर भी बन गए अफसर, 56 फीसद अंकों से बारहवीें पास करने वाले शिवम भाटिया इंटरनेशनल कंपनी जेनपेक्ट में मैनेजर बने

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रामपुर : परीक्षा में कम अंक, फिर भी बन गए अफसर, 56 फीसद अंकों से बारहवीें पास करने वाले शिवम भाटिया इंटरनेशनल कंपनी जेनपेक्ट में मैनेजर बने

जागरण संवाददाता, रामपुर : जहां चाह, वहां राह। इस पंक्ति के मायने को सही साबित किया है शहर के नामचीन स्कूलों के इन छात्रों ने हाईस्कूल व इंटर में भले ही कम अंक प्राप्त किए, लेकिन ऊंचा मुकाम हासिल किया। कम अंक भी उनके बड़े हौसलों को डिगा नहीं सके। अगर मन में कुछ बड़ा करने का जज्बा हो तो कामयाबी कदम चूमती है। 1दयावती मोदी अकादमी के प्रशासनिक अधिकारी आदित्य वर्मा बताते हैं कि हमारे यहां कई छात्र छात्रएं ऐसे रहे हैं जो औसत अंक हासिल करने के बावजूद आज प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत हैं। केवल 56 प्रतिशत अंको से बारहवीें की परीक्षा पास करने वाले शिवम भाटिया आज इंटरनेशनल कंपनी जेनपेक्ट में असिस्टेंट मैनेजर हैं। आशुतोष धीमन प्रसिद्ध गायक बन चुके हैं और पूरे देश भर में अपने शो करते है। शाकेब आबूधाबी के कार्पोरेट बैंक में आफीसर बन चुके है। वजाहत सईद कुवैत के ओडास्को आटोमेशन सर्विस स्टेशन में काम करते हैं। लंदन में राहित इंजीनियर बन चुके हैं। आदिल रजा दम्माम में दंत चिकित्सक हैं। स्पप्निल शर्मा और ध्रुव माहेश्वरी सॉफटवेयर इंजीनियर है। मनप्रीत कनाडा में इंजीनियर की नौकरी कर रहे है। इन सभी ने 12वीं की परीक्षा में 50 से 70 प्रतिशत अंक ही हासिल किए हैं। ग्रीनवुड स्कूल के प्रधानाचार्य एनके तिवारी कहते हैं कि उनके स्कूल में ऐसे कई छात्र रहे हैं जो इंटर की परीक्षा में करीब 60 फीसद अंक ही ला पाए, लेकिन इसके बाद भी इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अच्छे पद पर पहुंचे। इन छात्रों ने यह साबित कर दिया कि मंजिल पाने के लिए परीक्षा में अधिक अंक पाना ही सबकुछ नहीं है। अगर लगन से कोशिश की जाए तो बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। 1जैन इंटर कालेज के प्रधानाचार्य प्रेम स्वरूप शर्मा कहते हैं कि हमारे स्कूल के कई छात्र रामपुर का नाम रोशन कर रहे हैं। नरेश कुमार और उनके भाई इंटर तक हमारे कालेज में पढ़े और दोनों ही डिप्टी एसपी बन गए। उनके पिता पुलिस में सिपाही थे। दोनों भाइयों ने हाईस्कूल व इंटर में करीब 60 प्रतिशत अंक ही प्राप्त किए, लेकिन उनके अंदर अफसर बनने की ललक थी। अपनी इस मंजिल को पाने के लिए मन लगाकर तैयारी की और कामयाबी मिल गई। इसी तरह उनका कालेज में पढ़कर एक छात्र डिप्टी कलेक्टर बन गया। ये छात्र दूसरे छात्रों के लिए भी प्रेरणा बन गए हैं। इनकी कामयाबी से यह बात साफ हो जाती है कि कम अंक आने के बाद भी छात्रों को न उम्मीद नहीं होना चाहिए। बस लक्ष्य बनाकर पूरी लगन से उसमें लगा रहना चाहिए।आदित्य वर्मा।प्रेम स्वरूप शर्मा।एनके तिवारी।

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