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लखनऊ : आरटीई, 6 साल से कम उम्र पर दाखिला नहीं, सरकार पहले खुद एक्ट का पालन करे तब करें निजी स्कूलों से अपेक्षा

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लखनऊ : आरटीई, 6 साल से कम उम्र पर दाखिला नहीं, सरकार पहले खुद एक्ट का पालन करे तब करें निजी स्कूलों से अपेक्षा

- निजी स्कूलों ने जारी किया फरमान, कहा सरकार कर रही संवैधानिक मौलिक अधिकारों का हनन

- सरकार पहले खुद एक्ट का पालन करे तब करें निजी स्कूलों से अपेक्षा

लखनऊ। शहर के निजी स्कूलों ने शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत फ्री सीट पर छह साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला लेने से इनकार कर दिया है। निजी स्कूलों के संगठन असहायतित निजी स्कूल संगठन ने गुरुवार को इसकी घोषणा की।

संगठन का दावा है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम-2009 के मुताबिक दाखिले के लिए आवेदन करने वाले बच्चे को उम्र छह से 14 वर्ष के बीच होनी चाहिए। घोषणा की है कि दाखिला सिर्फ उन्हीं बच्चों को दिया जाएगा जो आयु सीमा समेत पात्रता की अन्य शर्तों को पूरा करेंगे।
संगठन ने सरकार और प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कहा है कि अगर सरकार चाहती है कि निजी स्कूल आरटीई अधिनियम के तहत अपनी कानूनी जिम्मेदारियों का पालन करें तो वह स्वयं भी निजी स्कूलों को विधिवत व समय से प्रतिपूर्ति देने के अपने उत्तरदायित्व का निष्पादन करे। जिससे निजी स्कूलों के कार्य करने के संवैधानिक मौलिक अधिकारों का हनन न हो।

*ये शर्ते पूरी नहीं तो दाखिला नहीं*

शहर के गोमतीनगर स्थित होटल में आयोजित प्रेसवार्ता में उसकी घोषणा की है। संगठन की सदस्य प्रो. गीता गांधी किंगडन ने बताया कि अधिनियम-2009 में चार शर्तों में बच्चे की उम्र 6 से 14 वर्ष के साथ ही जरूरी है कि वो किसी अन्य स्कूल में न पढ़ता हो। स्कूल के आस पड़ोस में ही उसका आवास होना चाहिए। उसे आर्थिक रूप से कमजोर और अलाभित समूह का होना जरूरी है। प्रो. गीता गांधी किंगडन का कहना है कि जो बच्चे इन मानकों को पूरा करते हैं उन्हें दाखिला देने के लिए तैयार है।

*आरटीई एक्ट के हिसाब से हो प्रतिपूर्ति*

संगठन की ओर से गरीब बच्चों को पढ़ाने के बदले दिए जाने वाली फीस प्रतिपूर्ति पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। संगठन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का कहना है कि सरकार जो प्रतिपूर्ति देती है वह किसी मनगढ़ंत धनराशि नहीं बल्कि आरटीई एक्ट की धारा 12 (2) के अनुसार तय करके मिलनी चाहिए।

*95 प्रतिशत बच्चे इसी उम्र के*

राजधानी में निजी स्कूलों की फ्री सीट पर दाखिले के लिए आरटीई के तहत होने वाले आवेदनों में 90 से 95 प्रतिशत बच्चे छह साल से कम उम्र के हैं। संगठन के इस फरमान ने इन बच्चों के दाखिले पर मुसीबत खड़ी कर दी है। इस संगठन के साथ शहर के कई बड़े स्कूलों शामिल हैं। प्रेसवार्ता में स्कूल प्रबंधनों ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। ऐसे में पहली चरण की लॉटरी के बाद इन स्कूलों में दाखिले के लिए भटक रहे अभिभावकों को लेकर उनका रवैया भी साफ हो गया है।

*विभाग सख्त, कहा दाखिले तो लेने होंगे*

स्कूल प्रबंधकों के इस फरमान को लेकर शिक्षा विभाग सख्त हो चला है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी ने साफ किया है कि आरटीई के तहत आने वाले सभी आवेदन एक प्रक्रिया से गुजरते हैं। शासन और विभाग ने एक व्यवस्था निर्धारित की है। जिसके अनुसार कार्रवाई हो रही है। ऐसे में स्कूल दाखिले से इनकार नहीं कर सकते।

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