बिजनौर : बेसिक स्कूलों के बच्चे चखेंगे अरहर की दाल का स्वाद, बीएसए कार्यालय ने शासन से 850 कुंतल अरहर की दाल मांगी
जागरण संवाददाता, बिजनौर: परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययन करने वाले छात्र-छात्रओं को मिड-डे-मील में अब सप्ताह में दो दिन अरहर की दाल मिलेगी। पहले यह दाल कन्वर्जन कास्ट में शामिल होती थी, लेकिन अब सरकार गेहूं व चावल की तरह से दाल भी स्कूलों को उपलब्ध कराएगी। जिले में मिड-डे-मील खाने वाले करीब 2.30 लाख बच्चों को अप्रैल से जून तक के लिए 850 क्विंटल अरहर की दाल की डिमांड शासन को भेजी है।1परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को अब रोज एक ही सब्जी या दाल नहीं खानी पड़ेगी। बच्चों की सेहत को देखते हुए शासन स्तर से अप्रैल से जून माह तक सप्ताह में दो दिन अरहर की दाल खिलाने की व्यवस्था की गई है। पहले भी अरहर की दाल खिलाने का आदेश था, लेकिन अभी तक अरहर की दाल की खरीदारी ग्राम प्रधान या एनजीओ को कन्वर्जन कास्ट में से कर रहे हैं। कई बार निरीक्षणों में सामने आ चुका है कि दाल की जगह बच्चों को कुछ और सब्जी बनाकर खिलाई गई। अरहर दाल की जगह सस्ती दालों का प्रयोग किया जाता रहा है। सरकार मिड-डे मील में अब कई दालों का प्रयोग करने पर जोर दे रही है। यहां तक कि दालों की घटिया क्वालिटी का प्रयोग रोकने के लिए शासन खुद अपने स्तर से दाल उपलब्ध कराएगा। मिड-डे-मील के जिला समन्वयक राशु कुमार ने बताया कि जिले के 2.30 लाख बच्चों को सप्ताह में दो दिन दाल खिलाने के लिए 850 लाख क्विंटल अरहर की दाल की डिमांड शासन को भेजी है। यह दाल बच्चों को अप्रैल माह से जून माह तक वितरण की जाएगी। जब तक शासन से अरहर दाल का वितरण का आवंटन नहीं होता है। तब तक दाल कन्वर्जन कास्ट से खरीदी जाएगी।जागरण संवाददाता, बिजनौर: परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययन करने वाले छात्र-छात्रओं को मिड-डे-मील में अब सप्ताह में दो दिन अरहर की दाल मिलेगी। पहले यह दाल कन्वर्जन कास्ट में शामिल होती थी, लेकिन अब सरकार गेहूं व चावल की तरह से दाल भी स्कूलों को उपलब्ध कराएगी। जिले में मिड-डे-मील खाने वाले करीब 2.30 लाख बच्चों को अप्रैल से जून तक के लिए 850 क्विंटल अरहर की दाल की डिमांड शासन को भेजी है।1परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को अब रोज एक ही सब्जी या दाल नहीं खानी पड़ेगी। बच्चों की सेहत को देखते हुए शासन स्तर से अप्रैल से जून माह तक सप्ताह में दो दिन अरहर की दाल खिलाने की व्यवस्था की गई है। पहले भी अरहर की दाल खिलाने का आदेश था, लेकिन अभी तक अरहर की दाल की खरीदारी ग्राम प्रधान या एनजीओ को कन्वर्जन कास्ट में से कर रहे हैं। कई बार निरीक्षणों में सामने आ चुका है कि दाल की जगह बच्चों को कुछ और सब्जी बनाकर खिलाई गई। अरहर दाल की जगह सस्ती दालों का प्रयोग किया जाता रहा है। सरकार मिड-डे मील में अब कई दालों का प्रयोग करने पर जोर दे रही है। यहां तक कि दालों की घटिया क्वालिटी का प्रयोग रोकने के लिए शासन खुद अपने स्तर से दाल उपलब्ध कराएगा। मिड-डे-मील के जिला समन्वयक राशु कुमार ने बताया कि जिले के 2.30 लाख बच्चों को सप्ताह में दो दिन दाल खिलाने के लिए 850 लाख क्विंटल अरहर की दाल की डिमांड शासन को भेजी है। यह दाल बच्चों को अप्रैल माह से जून माह तक वितरण की जाएगी। जब तक शासन से अरहर दाल का वितरण का आवंटन नहीं होता है। तब तक दाल कन्वर्जन कास्ट से खरीदी जाएगी।