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इलाहाबाद : क्लर्क से भी कम शिक्षकों का वेतन, सिर्फ एक स्कूल ने लागू कर रखी है सातवें वेतन आयोग की संस्तुति

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इलाहाबाद : क्लर्क से भी कम शिक्षकों का वेतन, सिर्फ एक स्कूल ने लागू कर रखी है सातवें वेतन आयोग की संस्तुति

सिर्फ एक स्कूल ने लागू कर रखी है सातवें वेतन आयोग की संस्तुति

प्रतिमाह पांच से 10 हजार के बीच दिया जाता है शिक्षकों को वेतन

इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददाता । अंग्रेजी स्कूल में शिक्षकों का वेतन सरकारी स्कूल में कार्यरत क्लर्क से भी कम है। बड़े स्कूल तो ठीक-ठाक वेतन और भत्ते देते हैं क्योंकि उन्हें अपनी साख के अनुरूप पढ़ाई करानी होती है लेकिन कुकुरमुत्ते की तरह गली-गली खुले स्कूलों में वेतन भत्ते तो क्या साल में तय छुट्टियां तक नहीं होती हैं।अधिकतर प्राइवेट स्कूल में पांच से 10-12 हजार रुपये तक में शिक्षकों से पढ़वाया जा रहा है। योग्यता का भी कोई मानक नहीं। न ही शिक्षक ठीक से अंग्रेजी बोल पाते हैं। टैगोर पब्लिक स्कूल में सातवें वेतन आयोग के अनुसार शिक्षकों को वेतन मिलता है। सीआईएससीई बोर्ड से जुड़े नामी कॉलेज भी वेतन भत्ते ठीक दे रहे हैं। सरकारी विभागों में लिपिक का वेतन कम से कम 40 से 45 हजार रुपये है। वरिष्ठ लिपिक तो 60-65 हजार रुपये तक वेतन उठाते हैं, लेकिन इतना वेतन इक्का-दुक्का प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों को ही मिलता है।नियम है कि शिक्षण शुल्क, महंगाई शुल्क से स्कूल की सालाना आय में से वेतन भुगतान के बाद आय से 20 प्रतिशत से ज्यादा बचत न हो। लेकिन स्कूलों की आय का कोई हिसाब नहीं। परिवहन के नाम पर भी मनमानी हो रही है। कई स्कूल हैं जो गाड़ियां नहीं चलवाते जबकि कई अन्य स्कूल कमीशन लेकर प्राइवेट गाड़ियां चलवा रहे हैं। स्कूल प्रबंधन अपना वार्षिक लेखा-जोखा प्राइवेट चाटर्ड एकाउंटेंट से करवा लेते हैं। सरकारी ऑडिट नहीं होने से इनकी वित्तीय गतिविधियां शक के दायरे में हैं।

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