लखनऊ : स्कूल बंद, अभिभावक भड़के, अभिभावकों ने कहा, गुटबाजी छोड़ आरटीई में बच्चों को हक दें स्कूल
- नीसा के देशव्यापी बंद के समर्थन किया बंद, आरटीई समेत तीन मांगों को लेकर था विरोध
- अभिभावकों ने कहा, गुटबाजी छोड़ आरटीई में बच्चों को हक दें स्कूल
लखनऊ। राजधानी के निजी स्कूल शनिवार को बड़ी संख्या में बंद रहे। निजी स्कूलों के राष्ट्रीय संगठन नेशनल इंडीपेंडेंट स्कूल अलाइंस (नीसा) के देश व्यापी बंद के समर्थन में यह बंद किया गया। असहायतित निजी स्कूल संगठन (यूपीएसए) का दावा है कि 100 प्रतिशत स्कूल बंद रहे। हालांकि, शहर के कुछ स्कूलों के खुले होने की भी सूचनाएं भी सामने आईं।
असहायतित निजी स्कूल संगठन (यूपीएसए) के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का कहना है कि यह एक सांकेतिक बंदी है। सरकार और अभिभावकों को उचित सम्मान देना होगा। स्कूल में छोटी-छोटी घटनाओं पर प्रिंसिपल और कर्मचारियों पर कार्रवाई जैसी घटनाओं बंद करने होगी। सरकार अभी भी न चेती तो बड़ा संघर्ष होगा।
*सरकारी हस्तक्षेप से नाराज हैं स्कूलवाले*
संगठन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का कहना है कि सरकार का बढ़ते हस्तक्षेप से निजी स्कूलों की स्वायत्तता घटती जा रही है। हाल में कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं जो स्कूलों के नियंत्रण के बाहर होती है। बावजूद, पब्लिक को खुश करने के लिए स्कूल पर दोष लगा दिया जाता है। स्कूल कर्मियों को गिरफ्तार किया जाता है और उनके खिलाफ एफआईआर कराई जाती है। संगठन ने सरकार पर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम का विधिवत लागू न किए जाने के भी आरोप लगाए हैं।
*अभिभावकों ने कहा, गुटबाजी के बजाए छात्रों का हक दें स्कूल*
इस बंद को लेकर अभिभावक नाराज हैं। समाजसेवी अभिभावकों की ओर से शुक्रवार को गांधी प्रतिमा पर प्रदर्शन भी किया गया। अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूल प्रबंधन मनमानी पर उतारू हैं। शिक्षा के अधिकार के तहत दाखिले लेने वाले बच्चों का उत्पीड़न करके स्कूलों से भगाया जा रहा है।
निजी स्कूल वाले कॉपी किताब से लेकर बटन और जूते तक बेचने पर उतर आए हैं। अभिभावकों को खुलेआम लूटा जा रहा है। सबकुछ सहने के बाद भी अभिभावक के लिए खामोश रहना मजबूरी है। उसकी खामोशी का फायदा न उठाएं।
---- आलोक सिंह, समाजसेवी
ये सिर्फ गुटबाजी है। कुछ लोग गरीब बच्चों को शिक्षा के अधिकार देना नहीं चाहते। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर गुटबाजी हो रही है। यह बंदी भी उसी गुटबाजी का हिस्सा है। सरकार पर अनावश्यक दवाब बनाने की कोशिश है।
----- रवीन्द्र, समाजसेवी
कुछ स्कूल प्रबंधन बच्चों को हक देने के बजाए मामले को कोर्ट में फंसाने में लगे हैं। जितना पैसा वकीलों की फीस देने और गुटबाजी में खर्च किया है, उतने में तो हजारों गरीब बच्चों के लिए अलग से स्कूल बन सकता था।
-- संदीप पाण्डे, समाजसेवी
हम पढ़ाने के लिए हैं...बंद से कोई मतलब नहीं
तेलीबाग के सर्वपल्ली राधाकृष्णन कॉलेज, जागरण पब्लिक स्कूल समेत कई अन्य स्कूलों के खुले होने की सूचना सामने आई। सर्वपल्ली राधाकृष्णन कॉलेज की प्राचार्या अर्चना यादव ने बताया कि उन्हें बंद से कोई लेना देना नहीं है। हमारे विद्यालय का उद्देश्य अच्छी शिक्षा देना है। हम वह बच्चों के दे रहे हैं। हम सरकार के साथ हैं।