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इलाहाबाद : अब संस्कृत कॉलेजों में शिक्षक बनने को देनी होगी लिखित परीक्षा, योगी सरकार ने किया बड़ा फैसला शैक्षिक मेरिट और साक्षात्कार के आधार पर हो रही भर्तियों की नियमावली में किया बदलाव

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इलाहाबाद : अब संस्कृत कॉलेजों में शिक्षक बनने को देनी होगी लिखित परीक्षा, योगी सरकार ने किया बड़ा फैसला शैक्षिक मेरिट और साक्षात्कार के आधार पर हो रही भर्तियों की नियमावली में किया बदलाव

इलाहाबाद : योगी सरकार ने प्रदेश के संस्कृत माध्यमिक कालेजों के संबंध में अहम निर्णय किया है। अब अन्य शिक्षकों की तर्ज पर संस्कृत कालेजों का प्रधानाध्यापक व अध्यापक बनने के लिए अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा देनी होगी। इन कालेजों के शिक्षक चयन का जिम्मा उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को सौंपा गया है।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने सत्ता में आने के बाद से शैक्षिक मेरिट और साक्षात्कार के आधार पर हो रही भर्तियों की नियमावली में बदलाव किया है। अधिकांश भर्तियां लिखित परीक्षा से कराई जा रही हैं। ऐसे में भेदभाव से ऊपर उठकर सरकार ने संस्कृत शिक्षकों का चयन भी लिखित परीक्षा से कराने का निर्णय किया है। शासन के संयुक्त सचिव शत्रुंजय कुमार सिंह ने शिक्षा निदेशक माध्यमिक डा. अवध नरेश शर्मा को निर्देश दिया है कि उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित सहायता प्राप्त प्रथमा, पूर्व मध्यमा और उत्तर मध्यमा पाठशालाओं के प्रधानाध्यापकों व अन्य अध्यापकों का चयन अब लिखित परीक्षा के माध्यम से होगा। इन शिक्षकों के चयन की परीक्षा व अन्य कार्यवाही उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से कराई जाएगी।

नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव : शासन ने निर्देश दिया है कि संस्कृत कालेजों के प्रधानाध्यापक व अध्यापक चयन का प्रस्ताव चयन बोर्ड को भेजा जाए। यदि चयन बोर्ड की नियमावली में किसी तरह की संशोधन की जरूरत हो तो उसका परीक्षण करके संशोधन प्रस्ताव तत्काल उपलब्ध कराएं। यदि यह जरूरत नहीं है तो अविलंब रिक्त पदों का ब्योरा चयन बोर्ड भेजा जाए।

डीआइओएस, जेडी से छिना कार्य : संस्कृत कालेजों में शिक्षक चयन कार्य अब तक जिला विद्यालय निरीक्षक यानि डीआइओएस और मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक यानि जेडी के माध्यम से होता रहा है। इसमें संस्कृत कालेज संचालक अफसरों को प्रभावित करके आसानी से अपनों की नियुक्ति दिलाने में सफल हो जाते रहे हैं। योग्य शिक्षक न होने से इन कालेजों में पठन-पाठन का स्तर भी गिर रहा था। शासन ने इस व्यवस्था पर पूर्ण विराम लगा दिया है।

एक साल से चयन बोर्ड ठप : शिक्षा निदेशालय भले ही संस्कृत कालेजों में चयन का प्रस्ताव चयन बोर्ड को तत्काल भेज दे, लेकिन वहां इस पर अभी कोई कार्रवाई नहीं हो सकेगी, क्योंकि चयन बोर्ड एक साल से ठप पड़ा है। अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति का इंतजार किया जा रहा है। शासन के इस प्रस्ताव से चयन बोर्ड जल्द संचालित होने के संकेत भी मिल रहे हैं।

🔵 चयन की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को

🔴 शिक्षा निदेशालय को चयन का प्रस्ताव भेजने का दिया निर्देश

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