अमरोहा : दबाव नहीं, बढ़ाएं बच्चों का हौसला, जीवन में सबकुछ अंक ही नहीं है, इससे भी आगे जिन्दगी है
अमरोहा : एग्जाम हो चुके हैं और अब दसवीं और बारहवीं के साथ ही विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम भी आना शुरू हो जाएंगे। ऐसे में अधिकांश बच्चे माता-पिता की अत्यधिक अपेक्षाओं के चलते तनावग्रस्त हो जाते हैं। कुछ तो परिणाम ठीक नहीं हाने पर गलत कदम भी उठा लेते हैं। लेकिन शिक्षाविदों का मानना है कि जीवन में सबकुछ अंक ही नहीं है, इससे भी आगे ¨जदगी है और औसत नंबर लाने वाले छात्र-छात्राओं ने भी करियर में बुलंदियों को छुआ है। ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि वह परीक्षाओं में कम आने पर उनका मनोबल न गिरने दें। ऐसे हालात में बच्चों पर दबाव नहीं बल्कि उनका हौसला बढ़ाएं। यूपी बोर्ड की दसवीं और बारहवीं के नतीजे रविवार को आ रहे हैं, जबकि सीबीएसई व आईसीएसई के नतीजे भी आने वाले दिनों आएंगे। यही नहीं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के नतीजों के साथ ही विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए भी कट ऑफ जारी होना शुरू जाएंगी। ऐसे में अभिभावकों का बच्चों पर ज्यादा अंक लाने का दबाव रहता है। कम अंक आने पर कभी-कभी बच्चे गलत कदम तक उठा लेते हैं, ऐसे में बाद में सिवाए पछताने के कुछ भी हासिल नहीं होता। लिटिल स्कॉलर एकेडमी की प्रधानाचार्या डॉ.अनुराधा बंसल कहती हैं कि दैनिक जागरण ने देशभर के बच्चों को किसी भी तरह के दवाब से मुक्त रखने के लिए एक सकारात्मक अभियान की शुरूआत की है, वाकई हमारे बच्चे उनके मार्क्स से ज्यादा प्यारे हैं। डॉ.बंसल कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि कम अंक आने के बाद ¨जदगी यही खत्म होती है, बहुत से ऐसे उदाहरण हैं जिनके बोर्ड परीक्षाओं में तो औसत अंक आए हैं और बाद में उन्होंने मेहनत करके करियर में बुलंदियों को छुआ है। समाज की परवाह किए बिना अभिभावक अपने बच्चे का भविष्य उज्जवल बनाएं व उसे अपनी मर्जी से शिक्षा लेने के लिए खुले आसमान में उड़ने का अवसर दें। अगर वह फेल होने की स्थिति में है तो उसे हिम्मत दें व उसे कामयाबी का मंत्र प्रेम से पढ़ाए न की उस पर दबाव डालें। उनके ही विद्यालय का छात्र रुपेश चौहान ने वर्ष 2015 में बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की लेकिन वह कम अंक आने की वजह से निराश था। लेकिन उसी साल उसने एनडीए में सलेक्ट होकर फ्लाइट लेफ्टिनेंट के रूप में करियर की शुरूआत की। इसी तरह से मुहल्ला कटकुई निवासी अनस भी पढ़ाई में औसत था लेकिन उसने अपनी मेहनत और शिक्षक-अभिभावकों के सहयोग के बूते एमबीबीएस में प्रवेश पाया। आरके पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य रेनू ¨सह का कहना है कि आजकल परीक्षाओं के परिणाम का दौर है, ऐसे में बच्चों को नाराज मत करें उनका ध्यान रखें और उनका हौसला बढ़ाएं। उन्हें प्रेरित करें कि डर से नहीं हिम्मत से ही कामयाबी मिलेगी। वह कहती हैं कि उनके स्टूडेंट अंकित माहेश्वरी के गणित विषय में बामुश्किल पा¨सग मार्क्स आए, लेकन उसने पहले ही प्रयास में आइआइटी में सलेक्ट होकर सबकी सोच को बदल दिया। हिल्टन कान्वेंट स्कूल प्रधानाचार्य अवनीश शर्मा का कहना है कि बच्चे की जिस विषय में रुचि है आप उसे उसी विषय का विशेषज्ञ बनने दें। न कि उस पर अपनी इच्छा को थोपें। वह कहते हैं कि उनके कालेज का छात्र गोपाल अम्बानी हाईस्कूल एवं इंटर में औसत दर्जें का छात्र था, लेकिन कम अंक आने के बाद भी उसने अपने हौसले को कम नहीं होने दिया। यही वजह है कि वह एक अच्छे संस्थान से इंजीनिय¨रग कर रहा है।