हरदोई : स्कूल में सफाई कर्मी बने बाबू, रसोइयां लगा रहीं झाड़ू, सफाई की भी तरफ ध्यान दें अधिकारी: शिवशंकर पांडेय
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष व वरिष्ठ प्रांतीय उपाध्यक्ष शिवशंकर पांडेय कहते हैं कि अध्यापकों की परेशानी पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जोकि गलत है। विद्यालयों में सफाई का मुद्दा उठाया जाता है। हर साल यही हाल होता है। उनका कहना है कि अध्यापक को सफाई कर्मचारियों का पूरा सम्मान करते हैं। विद्यालय भी गांव की ही संपत्ति हैं और गांव वालों के ही बच्चे पढ़ते हैं, तो फिर इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिलाध्यक्ष श्री पांडेय कहते हैं कि निरीक्षण करने वाले अधिकारी अगर शिक्षकों को देखते हैं तो सफाई भी देंखे ताकि व्यवस्था सही हो सके।
जागरण संवाददाता, हरदोई: वाह रे व्यवस्था। जिसके हाथ में झाड़ू होनी चाहिए वह बाबू बन गए हैं और जिनके हाथों में चौकी बेलन, चिमटा होना चाहिए उन्हें झाड़ू थामनी पड़ रही है। सफाई कर्मचारियों के परिषदीय विद्यालयों में झाड़ू न लगाने से रसोइयों को साफ सफाई करनी पड़ ही है। कुछ विद्यालयों को छोड़ दें तो अधिकांश की यही दशा है। कहने को तो विभाग से लेकर प्रशासन के आला अधिकारी विद्यालयों का निरीक्षण करते हैं लेकिन सबसे बड़ी अव्यवस्था पर किसी की नजर नहीं पड़ ही है।1परिषदीय विद्यालय कहने को तो शिक्षा का मंदिर हैं लेकिन इन मंदिरों में गंदगी का साम्राज्य फैला है। विद्यालयों में सफाई का कोई इंतजाम नहीं है। वैसे तो शासन और प्रशासन का इंतजाम है कि गांवों में तैनात सफाई कर्मचारी विद्यालयों में जाकर सफाई करें और वहीं से उनकी नौकरी शुरू हो लेकिन सब कुछ मनमानी की भेंट चढ़ गया है। कुछ विद्यालयों को छोड़ दें तो 95 फीसद विद्यालयों में सफाई का कोई इंतजाम नहीं है। या तो अध्यापक खुद सफाई करें या बच्चों से कराएं। ऐसे में भोजन माताओं को व्यवस्था संभालनी पड़ती है। 1सुबह रसोइयां किचन ही नहीं पूरे विद्यालय परिसर में सफाई करती हैं। कुछ खाना बनाती हैं तो कुछ सफाई देख रही हैं और ऐसे ही काम चल रहा है। जिले में तैनात करीब 1900 सफाई कर्मचारियों में काफी संख्या में कर्मचारी कार्यालयों में तैनात हैं। 1कोई किसी का मददगार है तो कोई किसी का काम देखता है। गांवों में नाम मात्र लोग जा रहे ह ं और पूरी मौज हो रही है, अधिकारियों को विद्यालयों में सब कुछ दिखता है लेकिन सफाई नहीं दिखती है। अध्यापक परेशान हैं कि वह करें तो क्या करें।विद्यालय में झाड़ू लगाती रसोईया (फाइल फोटो)’>>निरीक्षण करने वाले अधिकारियों को नहीं दिखती दशा1’>>कार्यालयों में तैनात सफाई कर्मचारी, गांवों में भी नहीं जाते