लखनऊ : यूपी के मदरसों में पढ़ाई जाएंगी एनसीईआरटी की किताबें, मदरसा बोर्ड सरकार को भेजेगा प्रस्ताव
हिन्दुस्तान टीम, लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मान्यता प्राप्त मदरसों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबें पढ़ाने के प्रदेश सरकार के फैसले पर अमल की तैयारी शुरू हो गई है। उप मुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा ने पिछले साल भाजपा सरकार गठित होने के बाद घोषणा की थी। मगर मदरसा शिक्षा परिषद राज्य सरकार के इस फैसले को मौजूदा शैक्षिक सत्र से लागू नहीं करवा सका। अब चालू शैक्षिक सत्र अंतिम दौर में है, वार्षिक परीक्षाएं शनिवार 28 अप्रैल को खत्म हो रही हैं। इसके तत्काल बाद नया शैक्षिक सत्र शुरू होगा। कोशिश इस बात की हो रही है कि इस नए शैक्षिक सत्र में एनसीईआरटी की किताबें मदरसों में पढ़ाने की शुरुआत करवा दी जाए। डा.दिनेश शर्मा ने बताया कि सरकार के इस फैसले पर अमल तो मदरसा शिक्षा परिषद को ही करना है। मदरसा शिक्षा परिषद अपने यहां प्रस्ताव पारित कर शासन को भेजे तब मंजूरी मिलेगी। मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता ने 'हिन्दुस्तान' से कहा कि पिछले काफी समय से मदरसा बोर्ड में सदस्यों के पद खाली चल रहे थे, अब सरकार ने मदरसा बोर्ड के सात खाली पदों पर नए सदस्यों को नामित कर दिया है जिनकी अधिसूचना जल्द ही जारी होगी। नए सदस्यों के आ जाने के बाद बोर्ड की बैठक होगी और उसमें प्रदेश सरकार के इस फैसले के अनुरूप प्रस्ताव लाया जाएगा। शासन की मंजूरी मिलते ही प्रदेश के मदरसों में कक्षा एक से कक्षा आठ तक एनसीईआरटी की उर्दू में प्रकाशित विभिन्न विषयों की पुस्तकों की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। इसी क्रम में मदरसा शिक्षकों के संगठन आल इण्डिया मदारिस-ए-अरबिया की प्रदेश इकाई के महामंत्री वहीदुल्लाह खान ने बताया कि पिछले साल 18 मई को प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण ने एक बैठक की थी, जिसमें फैसला हुआ था कि मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध करवाई जाएंगी। यही नहीं इसके ऊपर की कक्षाओं मुंशी मौलवी, आलिम, कामिल, फाजिल में पढ़ाने के लिए चूंकि किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं हैं इसलिए मदरसा बोर्ड इन कक्षाओं के लिए किताबें खुद छपवाएगा। मगर यह किताबें आज तक नहीं छप पायी हैं। न ही एनसीईआरटी ने मदरसों के लिए विभिन्न विषयों की किताबें उर्दू माध्यम से छापी हैं।