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बांदा : निजी क्षेत्र के स्कूलों में सरकारी शिक्षा नीति 'धड़ाम'

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बांदा : निजी क्षेत्र के स्कूलों में सरकारी शिक्षा नीति 'धड़ाम'

जागरण संवाददाता, बांदा : निजी क्षेत्र के स्कूल सरकारी शिक्षा नीति की हवा निकाल रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों में एक दो नहीं बल्कि किसी भी नियम कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है। सरकार के सख्त आदेशों के बाद भी कमीशन खोरी के चलते प्राइवेट प्रकाशन की किताबें चलाई जा रही हैं। किताबे महंगी होने के कारण अभिभावक बच्चों की शिक्षा का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं।

निजी क्षेत्र में दर्जनों विद्यालय हिन्दी मीडियम की मान्यता लेकर अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई का ¨ढढ़ोरा पीटकर मनमानी एडमीशन फीस व शिक्षा शुल्क ले रहे हैं। यही नहीं स्कूलों में सरकार के सख्त निर्देशों के बाद भी प्राइवेट प्रकाशनों की किताबें चला रहे हैं। बच्चों को उनकी उम्र और क्षमता से कही ज्यादा बस्ते का बोझ ढ़ोना पड़ रहा है। कमीशन खोरी का दूसरा रूप यह भी है कि किताबों को हर साल बदल दिया जाता है। ताकि इसका लाभ आर्थिक रूप से कमजोर बच्चा न ले सके। इसी प्रकार मनमानी तरीके से प्रतिवर्ष शिक्षा शुल्क में 15 से 20 फीसद तक की बढ़ोत्तरी भी कर दी जाती है। इसके लिए किसी भी अधिकृत एजेंसी या शिक्षा विभाग के अधिकारियों से अनुमति भी नहीं ली जाती है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 13(ए) के तहत प्राविधान है कि प्रत्येक विद्यालय में प्रवेश के समय एडमीशन फीस व अन्य शुल्क जैसे टाई, बेल्ट, स्कूल डायरी आदि का पैसा नहीं लिया जाएगा। अन्यथा स्कूल संचालक पर दस गुना जुर्माना किया जाएगा। इसी अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में 6-14 वर्ष के 20 फीसद बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाएंगी। लेकिन कोई भी विद्यालय इस नियम का अनुपालन नहीं कर रहा है। आलम यह है कि जिले में एक दर्जन से अधिक ऐसे प्राइवेट स्कूल चल रहे हैं जो मान्यता तो हिन्दी मीडियम की लिए हैं और स्कूल का संचालन अंग्रेजी माध्यम से कर रहे हैं। दावा एनसीईआरटी का कोर्स पढ़ाने का कर रहे हैं और स्कूल में मनमानी कोर्स व प्राइवेट प्रकाशन की किताबें चला रहे हैं।

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क्या कहते हैं अधिकारी

सरकारी हो या प्राइवेट स्कूल सभी में एनसीआरटी की किताबें चलेंगी। एडमीशन फीस नहीं ली जाएगी। फीस बढ़ाने के पूर्व विद्यालय प्रबंधतंत्र को अनुमति लेनी होगी। शासन की मंशा के अनुसार निजी स्कूलों में 20 फीसद गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी। नियमों की अनदेखी करने वाले विद्यालयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

-हिफजुर्रहमान, जिला विद्यालय निरीक्षक

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