इलाहाबाद : विद्यार्थियो के पास किताबें नही हजारों पुस्तकें खा रहीं धूल
संसू, मेजा : नया शिक्षण सत्र चालू हुए एक माह होने को है लेकिन छात्रों को अब तक किताबें नहीं वितरित कराई गयी है। किताबों के अभाव में छात्र हैरान एवं परेशान हैं, जबकि मेजा विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय कोहड़ार (द्वितीय) में हजारों किताबें बंद कमरे में धूल खा रही है। 1परिषदीय विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने के लिये शासन स्तर से लेकर विद्यालय स्तर तमाम अभियान चलाएं जा रहे हैं। हालांकि यह दुर्भाग्य ही है कि नया शिक्षण सत्र चालू हुऐ एक माह होने को है, लेकिन विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को अब तक किताबें नही मुहैया कराई गयी है। अधिकारियों से जब इस संबंध में सवाल किये जाते है तो वे किताबें न आने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते है। जबकि कोहड़ार स्थित प्राथमिक विद्यालय द्वितीय में हजारों किताबें बेतरतीब ढंग से रखी हुई है। अगर उन्हीं किताबों को सही ढंग से वितरित करा दिया जाय तो हजारों छात्रों को किताबें वितरित कराई जा सकती है। शिक्षकों की लापरवाही का यह आलम है कि जिस विद्यालय में इतनी भारी मात्र में किताबें धूल खा रही है, उस विद्यालय के छात्र भी बिना किताबों के स्कूल आ रहे है। 1 इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी मेजा संजय कुमार ने बताया कि शासन स्तर पर अभी तक किताबों का वितरण नही कराया गया है। जैसे ही किताबें ब्लाक संसाधन केंद्र पर पहुंच जाती है वैसे ही संकुलवार विद्यालयों में किताबें वितरित करा दिया जायेगा। शिक्षण प्रक्रिया प्रभावित न हो इसके लिये जिन कक्षाओं के छात्र अगली कक्षा में प्रवेश कर चुके है, उनकी किताबों को मंगा कर काम चलाया जा रहा है। कोहड़ार स्थित विद्यालय में धूल खा रही किताबों के संबंध में जब उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह किताबें पिछले सत्र की होगी। अब बताइये बच्चों से पिछले सत्र की किताब मंगा कर शिक्षण प्रक्रिया को सुचारू किया जा रहा है, जबकि धूल खा रही किताबों को वितरित कराने के बारे में नही सोचा जा रहा है। कोहड़ार संकुल के प्रभारी राम मूर्ति दुबे से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि कमरे में रखी किताबें पुराने सत्र की है। जिसे वितरित कराया जा रहा है, उम्मीद है कि दो से तीन दिनों में किताबें वितरित करा दिया जायेगा। जहां किताबें कम पड़ेगी वहा नये सत्र की किताबें आने के बाद वितरित किया जायेगा। जिस विद्यालय में किताबें रखी है, उसी विद्यालय के बच्चों को किताब न वितरित कराए जाने की बात पर वह कन्नी काट गये। क्षेत्र के जानकार लोगों का कहना है कि सरकार भले ही परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने को लेकर काफी सक्रिय है, लेकिन जब तक स्थानीय स्तर के अधिकारी एवं शिक्षक अपनी जिम्मेदारी नही निभाएंगे तब तक कुछ नही हो सकता है। अधिकारी एवं शिक्षक स्कूल चलो अभियान के तहत रैली निकाल कर उसकी फोटो प्रकाशित कराने के बाद मिड डे मील भोजन में छात्रों की संख्या के प्रबंध को लेकर पंचायत प्रतिनिधि से भीड़े रहते है। ऐसे में सरकारी की मंशा कभी भी पूरी नही हो सकती है।संसू, मेजा : नया शिक्षण सत्र चालू हुए एक माह होने को है लेकिन छात्रों को अब तक किताबें नहीं वितरित कराई गयी है। किताबों के अभाव में छात्र हैरान एवं परेशान हैं, जबकि मेजा विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय कोहड़ार (द्वितीय) में हजारों किताबें बंद कमरे में धूल खा रही है। 1परिषदीय विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने के लिये शासन स्तर से लेकर विद्यालय स्तर तमाम अभियान चलाएं जा रहे हैं। हालांकि यह दुर्भाग्य ही है कि नया शिक्षण सत्र चालू हुऐ एक माह होने को है, लेकिन विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को अब तक किताबें नही मुहैया कराई गयी है। अधिकारियों से जब इस संबंध में सवाल किये जाते है तो वे किताबें न आने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते है। जबकि कोहड़ार स्थित प्राथमिक विद्यालय द्वितीय में हजारों किताबें बेतरतीब ढंग से रखी हुई है। अगर उन्हीं किताबों को सही ढंग से वितरित करा दिया जाय तो हजारों छात्रों को किताबें वितरित कराई जा सकती है। शिक्षकों की लापरवाही का यह आलम है कि जिस विद्यालय में इतनी भारी मात्र में किताबें धूल खा रही है, उस विद्यालय के छात्र भी बिना किताबों के स्कूल आ रहे है। 1 इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी मेजा संजय कुमार ने बताया कि शासन स्तर पर अभी तक किताबों का वितरण नही कराया गया है। जैसे ही किताबें ब्लाक संसाधन केंद्र पर पहुंच जाती है वैसे ही संकुलवार विद्यालयों में किताबें वितरित करा दिया जायेगा। शिक्षण प्रक्रिया प्रभावित न हो इसके लिये जिन कक्षाओं के छात्र अगली कक्षा में प्रवेश कर चुके है, उनकी किताबों को मंगा कर काम चलाया जा रहा है। कोहड़ार स्थित विद्यालय में धूल खा रही किताबों के संबंध में जब उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह किताबें पिछले सत्र की होगी। अब बताइये बच्चों से पिछले सत्र की किताब मंगा कर शिक्षण प्रक्रिया को सुचारू किया जा रहा है, जबकि धूल खा रही किताबों को वितरित कराने के बारे में नही सोचा जा रहा है। कोहड़ार संकुल के प्रभारी राम मूर्ति दुबे से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि कमरे में रखी किताबें पुराने सत्र की है। जिसे वितरित कराया जा रहा है, उम्मीद है कि दो से तीन दिनों में किताबें वितरित करा दिया जायेगा। जहां किताबें कम पड़ेगी वहा नये सत्र की किताबें आने के बाद वितरित किया जायेगा। जिस विद्यालय में किताबें रखी है, उसी विद्यालय के बच्चों को किताब न वितरित कराए जाने की बात पर वह कन्नी काट गये। क्षेत्र के जानकार लोगों का कहना है कि सरकार भले ही परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने को लेकर काफी सक्रिय है, लेकिन जब तक स्थानीय स्तर के अधिकारी एवं शिक्षक अपनी जिम्मेदारी नही निभाएंगे तब तक कुछ नही हो सकता है। अधिकारी एवं शिक्षक स्कूल चलो अभियान के तहत रैली निकाल कर उसकी फोटो प्रकाशित कराने के बाद मिड डे मील भोजन में छात्रों की संख्या के प्रबंध को लेकर पंचायत प्रतिनिधि से भीड़े रहते है। ऐसे में सरकारी की मंशा कभी भी पूरी नही हो सकती है।