लखनऊ : दोनों हाथ एक साथ लिखते हैं पांच भाषाएं, स्कूल में विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं सौ छात्र
सिंगरौली : दोनों हाथों से एक साथ लिखने का ..। यह किसी जादूगर की कला नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के छोटे से गांव बुधेला में 100 बच्चों के रोजमर्रा का काम है। यहां के वीणा वादिनी पब्लिक स्कूल में छात्र इस विधा में इतने निपुण हो चुके हैं कि कंप्यूटर के की-बोर्ड से भी तेज रफ्तार से उनकी कलम चलती है। यही नहीं, वे पांच भाषाओं (हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, स्पेनिश, संस्कृत) में यह करिश्मा कर लेते हैं। छात्र इस को ‘हैरी पॉटर’ वाला जादू नाम देते हैं।
इस निजी स्कूल की नींव यहीं के निवासी वीरंगद शर्मा ने एक रोचक सोच के साथ आठ जुलाई 1999 को रखी थी। इससे कुछ हफ्ते पहले वीरंगद जबलपुर में सेना का प्रशिक्षण ले रहे थे। वह बताते हैं एक दिन जबलपुर रेलवे स्टेशन पर एक पुस्तक में मैंने पढ़ा कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद दोनों हाथ से लिखते थे। ऐसा कैसे हो सकता है, इस जिज्ञासा ने और खोजबीन करने की प्रेरणा दी। यह विचार इतना पुख्ता हुआ कि कुछ दिनों में सेना का प्रशिक्षण छोड़ दिया। खोजने पर उन्हें पता चला कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में छात्र औसतन प्रतिदिन 32000 शब्द लिखने की क्षमता रखते थे। इस पर पहले भरोसा करना कठिन था लेकिन इतिहास खंगाला तो कई जगह इसका उल्लेख मिला। बस इसी सोच के साथ स्कूल की नींव पड़ गई। वीरंगद ने देश के इतिहास की बात को वर्तमान में सार्थक करने की ठान ली है। पहले खुद दोनों हाथों से लिखने का प्रयास किया लेकिन खास सफलता नहीं मिली। बच्चों पर प्रयोग आजमाया। बच्चे सीखने में अव्वल निकले। अब आलम यह है कि 11 घंटे में बच्चे 24 हजार शब्द तक लिख लेते हैं।
ध्यान, योग की अहम भूमिका: 43 साल के वीरंगद बताते हैं कि यह एक साधना की तरह है। ध्यान, योग, दृढ़ संकल्प होकर लक्ष्य पाया जा सकता है। इसलिए स्कूल में ध्यान और योग भी करीब डेढ़ घंटे तक रोज सिखाया जाता है। इसी का परिणाम है कि बच्चे एक से 100 तक की गिनती उर्दू में 45 सेकंड में, एक मिनट में रोमन में, एक मिनट में देवनागरी लिपि में लिख लेते हैं। एक मिनट में दो भाषाओं के 250 शब्दों का अनुवाद कर देते हैं। एक मिनट में 17 तक का पहाड़ा लिख लेते हैं। एक हाथ दो का पहाड़ा लिखता है तो दूसरा हाथ तीन का। फिर पहला हाथ चार तो दूसरा हाथ पांच का पहाड़ा लिखना शुरू कर देता है।