रायबरेली : बच्चे को दें सेहतमंद मुस्कान कराएं भरपूर स्तनपान, विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष
जागरण संवाददाता, रायबरेली : बच्चों की सेहत को लेकर हर किसी को फिक्र रहती है। चिकित्सा विभाग और बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से नौनिहालों को कुपोषण से बचाने के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है। कुपोषण से बचाने की सबसे पहली सीढ़ी स्तनपान की होती है। जागरूकता के अभाव में महिलाएं स्तनपान करने से कतराती हैं। प्रदेश में छह माह तक स्तनपान कराने का प्रतिशत महज 41.6 प्रतिशत है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य दिवस पर आंगनबाड़ी केंद्रों पर महिलाओं को जागरूक किया जाएगा। वहीं, बच्चों के सेहतमंद रहने के राज भी बताए जाएंगे।1स्तनपान शिशु को न सिर्फ स्वस्थ रखने और भरपूर पोषण देने का काम करता है, बल्कि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व समुचित विकास में भी मदद करता है। मां के द्वारा अपने शिशु को अपने स्तनों से आने वाला प्राकृतिक दूध पिलाने की प्रक्रिया को स्तनपान कहते हैं। शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। आंकड़ों में जिले का हर दसवां बच्चा कुपोषण का शिकार है। इसकी रोकथाम के लिए स्तनपान प्राथमिक और सबसे आसान तरीका है। सहज, सस्ता और असरदार तरीका होने के साथ ही मां व बच्चे के बीच स्नेह और भावनात्मक जुड़ाव का संबंध बनता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और महिला स्वास्थ्यकर्मी बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए महिलाओं को जागरूक करेंगी। जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से बच्चों को क पोषण से बचाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। 1इसलिए जरूरी है स्तनपान: बच्चों को छह माह तक केवल मां का दूध पिलाना चाहिए। बच्चे को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराने स कई बीमारियों से बचाव होता है। 1स्तनपान से बच्चे को होने वाले लाभ: मां के स्तन से पहली बार निकलने वाला पीला दूध कोलोस्ट्रम कहलाता है, इसे शिशु को जरूर पिलाना चाहिए। इससे शिशु को संक्रमण से बचने और उसकी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद मिलती है। नवजात शिशु में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नहीं होती। शिशु को यह शक्ति मां के दूध से प्राप्त होती है।जागरण संवाददाता, रायबरेली : बच्चों की सेहत को लेकर हर किसी को फिक्र रहती है। चिकित्सा विभाग और बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से नौनिहालों को कुपोषण से बचाने के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है। कुपोषण से बचाने की सबसे पहली सीढ़ी स्तनपान की होती है। जागरूकता के अभाव में महिलाएं स्तनपान करने से कतराती हैं। प्रदेश में छह माह तक स्तनपान कराने का प्रतिशत महज 41.6 प्रतिशत है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य दिवस पर आंगनबाड़ी केंद्रों पर महिलाओं को जागरूक किया जाएगा। वहीं, बच्चों के सेहतमंद रहने के राज भी बताए जाएंगे।1स्तनपान शिशु को न सिर्फ स्वस्थ रखने और भरपूर पोषण देने का काम करता है, बल्कि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व समुचित विकास में भी मदद करता है। मां के द्वारा अपने शिशु को अपने स्तनों से आने वाला प्राकृतिक दूध पिलाने की प्रक्रिया को स्तनपान कहते हैं। शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। आंकड़ों में जिले का हर दसवां बच्चा कुपोषण का शिकार है। इसकी रोकथाम के लिए स्तनपान प्राथमिक और सबसे आसान तरीका है। सहज, सस्ता और असरदार तरीका होने के साथ ही मां व बच्चे के बीच स्नेह और भावनात्मक जुड़ाव का संबंध बनता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और महिला स्वास्थ्यकर्मी बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए महिलाओं को जागरूक करेंगी। जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से बच्चों को क पोषण से बचाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। 1इसलिए जरूरी है स्तनपान: बच्चों को छह माह तक केवल मां का दूध पिलाना चाहिए। बच्चे को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराने स कई बीमारियों से बचाव होता है। 1स्तनपान से बच्चे को होने वाले लाभ: मां के स्तन से पहली बार निकलने वाला पीला दूध कोलोस्ट्रम कहलाता है, इसे शिशु को जरूर पिलाना चाहिए। इससे शिशु को संक्रमण से बचने और उसकी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद मिलती है। नवजात शिशु में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नहीं होती। शिशु को यह शक्ति मां के दूध से प्राप्त होती है।
छह माह तक केवल स्तनपान करने वाले बच्चों का प्रतिशत 1जिला>> प्रतिशत1सीतापुर>>62.71लखीमपुर>> 62.11उन्नाव>>59.81हरदोइ>>51.31रायबरेली>>47.41लखनऊ>>47.01(स्रोत : स्वास्थ्य विभाग)1तीन साल के बच्चों का प्रतिशत जिन्होंने कोलोस्ट्रम लिया 1सीतापुर>>34.81रायबरेली>>34.41उन्नाव>>30.21हरदोई >>25.81लखीमपुर>>25.31लखनऊ>>22.31(स्रोत : स्वास्थ्य विभाग)1