मुरादाबाद : फटे जूतों की जानकारी जुटा रही सरकार, दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था एक महीने पूर्व का मामला
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : बेसिक स्कूलों में बच्चों के जूते एक महीने में ही फटने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। कोर्ट में शासन ने जवाब दिया कि फटे हुए जूते बदले जा रहे हैं। अब इस जवाब का पालन करने को स्कूलों से सूचना मांगी है कि जूते कितने बच्चों के जूते फटे हुए हैं। जिस कंपनी ने जूते बांटे थे उसने एक साल की गारंटी दी थी, लेकिन एक महीने में ही यह फट गए। 1इस मुद्दे को को 31 जनवरी 2018 को दैनिक जागरण ने ‘पैर बड़े और जूते छोटे’ शीर्षक से प्रमुखता समाचार को छापा था। जिले में पौने दो लाख बच्चे पढ़ते हैं,जिनमें 80 फीसद बच्चों के जूते एक महीने में ही फट गए थे और 20 फीसद बच्चे ऐसे थे जिनके पैर में जूता आया ही नहीं और इस कारण आज तक उनको जूता नहीं मिल पाया है। बच्चों के पैर बड़े थे और उन्हें जूते छोटे साइज के दिये गए। कंपनी ने तीन तरह के साइज के जूते भेजे थे। सात, चार व तीन नंबर के जूते जिन्होंने भी पहने उनकी गुणवत्ता खराब होने के कारण एक महीने भी नहीं चले। उसके बाद गरीब परिवारों के बच्चे फिर से नंगे पैर स्कूल जाने लगे। बालिकाओं के जूते की स्टेप कसी हुई होने से टूट गई थीं। बीआरसी सेंटर पर जूते आए थे, जिनकी छटाई हुई। जिनके पैर में जूते नहीं आए तो शिक्षक फिर बीआरसी सेंटर दौड़े लेकिन तब तक जूते छंट चुके थे। नए सत्र में तो सभी बच्चे बिना जूते पहने ही स्कूल जा रहे हैं। कंपनी से 300 रुपये के हिसाब से जूता खरीदा गया था।सूचना जुटाई जा रही है। जिनके जूते फट गए हैं या जिनको नहीं मिले थे उनको शासन स्तर से दोबारा मिलेंगे। शासन स्तर से जिस कंपनी का आवंटन हुआ था उसी के माध्यम से जूते आए थे। 1-संजय सिंह, बीएसए।’>>हाईकोर्ट तक पहुंचा बेसिक स्कूलों के बच्चों के फटे जूतों का मामला1’>>जिले में पौने दो लाख में 80 फीसद बच्चों के जूते छोटे होने से फटे