लखनऊ : स्कूलों की मनमानी नहीं चलेगी, कानून का राज चलेगा-दिनेश शर्मा
अध्यादेश पास कराने के साथ इसे कड़ायी लागू भी कराया जाएगा, सरकार की पूरी नजर रहेगी
लखनऊ। मनमाने तरीके से फीस बढ़ाकर अभिभावकों की जेब काटने वाले प्राइवेट स्कूलों पर पहली बार सरकार ने शिकंजा कसा है। इसके लिए कैबिनेट से नया अध्यादेश पास हुआ है। विधान सभा से पास होने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। अध्यादेश पास कराना तो आसान है लेकिन इसे कड़ाई से लागू कराना बड़ी चुनौती होगा। इस चुनौती से उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा भी वाकिफ हैं। बुधवार को इस संवाददाता ने डॉ. दिनेश शर्मा से बात की तो उन्होंने इसको लेकर अपना रूख साफ किया। उन्होंने साफ कहा कि स्कूलों की मनमानी अब किसी सूरत पर बर्दाश्त नहीं होगी। अध्यादेश पास कराने के बाद सरकार चुप नहीं बैठेगी। इसे कड़ाई से लागू कराया जाएगा। लेकिन इसके जरिए किसी स्कूल का शोषण भी नहीं होगा।
*सवाल-अध्यादेश से अभिभावकों को कितनी राहत मिलने वाली है?*
उत्तर-अध्यादेश से अभिभावकों का शोषण पूरी तरह से रुक जाएगा। इसमें हर उस पहलू को शामिल किया गया है जिससे लोगों को दिक्कतें न हों। इसके लागू होने के बाद स्कूल संचालक नियमों से पूरी तरह बंध जाएंगे। वह मनमाने तरीके से न तो फीस बढ़ा पाएंगे और न ही अपने लाभ के लिए स्कूलों में कापी,किताब, बस्ते व जूते मोजे की दुकान चला पाएंगे।
*सवाल-सीबीएसई व आईएसीएसई बोर्ड के स्कूलों को कैसे इसके दायरे में लाएंगे?*
उत्तर-सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड के स्कूल भले ही यूपी बोर्ड की मान्यता नहीं लेते लेकिन उन्हें एनओसी राज्य सरकार देती है। तीनों बोर्ड के जो स्कूल नियमों का उल्लंघन करेंगे उन्हें जुर्माना देना होगा। पहली बार एक लाख, दूसरी बार पांच लाख और तीसरी बार में उनकी मान्यता खत्म होगी। सीबीएसई व आईसीएसई के स्कूलों की एनओसी वापस वापस लेने का प्रावधान किया जा रहा है।
*प्रश्न-स्कूलों में व्यावसायिक गतिविधियां करने वाले विद्यालयों की वार्षिक आय की जानकारी कैसे करेंगे?*
उत्तर-स्कूलों को अपनी सालाना बैलेंसशीट देनी होगी। इसी से पता चलेगा कि उन्हें स्कूल की व्यावायिक गतिविधियों से कितनी आमदनी हुई है। स्कूल में बने शादी ब्याह के हाल, दुकानें, बैंक, एटीएम इन सभी की आय को स्कूल की आय में जोड़ा जाएगा। इस आय को स्कूल में जोड़ने से स्कूल संचालक व्यावसायिक गतिविधियां बंद करने को बाध्य होंगे।
*प्रश्न-अभिभावकों से कई तरह के और शुल्क वसूले जाते हैं। क्या यह भी रुकेगा?*
उत्तर-शुल्क को भागों में बांट दिया गया है। एक संभावित शुल्क, जिसे सम्बंधित स्कूल को छह महीने अपनी वेबसाइट पर डालना होगा। दूसरा एच्छिक शुल्क होगा। एच्छिक के लिए स्कूल अभिभावकों को बाध्य नहीं कर पाएंगे। मसलन स्कूल की वैन, बस, शैक्षिक भ्रमण, मैगजीन, स्वीमिंग व अन्य शुल्क के लिए उन्हें बाध्य नहीं किया जा सकेगा। कोई भी स्कूल छह महीने से ज्यादा की फीस एक साथ नहीं ले सकेंगे। स्कूल 12 वीं तक केवल एक बार ही प्रवेश शुल्क ले सकेंगे।
*प्रश्न-अभी यह अध्यादेश विधान सभा से पास नहीं है? ऐसे में अभी इसे कैसे लागू करेंगे?*
उत्तर-अभी अध्यादेश केवल कैबिनेट से पास हुआ है। इसे अभी विधान सभा से भी पास कराया जाना है। अभी यह विधिक प्रक्रिया में नहीं आया है। ऐसे में अभी इसे स्कूलों पर नहीं थोपा जा सकता है। यह कानुन के हिसाब से सही भी नहीं है। पास होने के बाद इसे शैक्षिक सत्र 2018-19 से लागू माना जाएगा। पास होने के बाद इसके हिसाब से स्कूल संचालकों को आगे काम करना होगा।