बांदा : नियुक्ति व तबादले में हमेशा होता पक्षपात, किसको कौन सा स्कूल चाहिए, किसे नगरीय क्षेत्र का स्कूल चाहिए, किसे पढ़ाने के बजाय बीआरसी में बैठकर नेतागिरी करनी है, सभी अवसर शिक्षाधिकारी उपलब्ध करा देते हैं।
जागरण संवाददाता, बांदा: किसको कौन सा स्कूल चाहिए, किसे नगरीय क्षेत्र का स्कूल चाहिए, किसे पढ़ाने के बजाय बीआरसी में बैठकर नेतागिरी करनी है, सभी अवसर शिक्षाधिकारी उपलब्ध करा देते हैं। लेकिन इसके लिए आपको से¨टग के रास्ते आना पड़ेगा। से¨टग हो गई तो फिर ये किसी भी शिक्षक का हक मारने से पीछे नहीं हटते। ऐसा ही कुछ शिक्षिका गार्गी नेगी के मामले में भी शायद हुआ है। प्रथम आने के चलते हक तो उसका ही बनता था। लेकिन बेचारी के पास से¨टग का अभाव होने उसके हक को मार दिया।
जनपद में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के एक नहीं तमाम उदाहरण मिलते हैं। कई विद्यालय ऐसे हैं जहां पर शिक्षकों की कमी होने के बावजूद से¨टग वालों को बीआरसी से जोड़ दिया गया। खड़िया प्राथमिक विद्यालय में तैनात दो शिक्षकों में एक को बीआरसी महुआ में अटैच कर दिया गया। जबकि उस विद्यालय में अब एक महिला शिक्षक ही बची हैं। इसीतरह छनेहरा, चकचटगन, चहितारा आदि ऐसे दर्जनों विद्यालय हैं जहां के शिक्षक बीआरसी से जुड़कर नेतागिरी करते रहते हैं। समायोजन की व्यवस्था तो इस विभाग के लिए लाटरी जैसी है। जिसने भी जहां चाहा उसे वहां समायोजित करने का खेल होता रहता है। बस शर्त होती है कि से¨टग के रास्ते वह पहुंचा हो। जिससे वास्तविक लाभ के हकदार शिक्षक अपना हक नहीं पा पाते हैं। साल में होने वाले तबादलों के हाल तो शायद ही किसी से छिपे हुए होंगे।
सिटी मजिस्ट्रेट करेंगे जांच
अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में तैनाती की काउंसि¨लग में प्रथम आई गार्गी नेगी के मामले में एडीएम ने डायट प्राचार्य, बीएसए के साथ-साथ सिटी मजिस्ट्रेट से भी जांच कर रिपोर्ट मांगी है। एडीएम गंगाराम गुप्ता ने बताया कि तीनों अधिकारियों से अलग-अलग रिपोर्ट मांगी गई है। उसे देखने के बात आगे की कार्रवाई की जाएगी।
बच्चों से बस्ता छीनने को नहीं अभी भूले लोग
शिक्षाधिकारियों की कार्यशैली किसी से छिपी नहीं है। पिछले साल मुख्यमंत्री के आने पर गुरेह प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को नये बस्ते वितरित किए गए थे। क्योंकि यहां मुख्यमंत्री द्वारा निरीक्षण किया जाना था। निरीक्षण के बाद संवेदनहीनता दिखाते हुए तत्कालीन बीएसए ने बच्चों से बस्ते वापस छिनवा लिए थे। तब यही डायट प्राचार्य एडी बेसिक थे और इनको ही जांच सौंपी गई थी। तब भी इस विभाग के अधिकारियों को पूरे जनपद वासियों ने बच्चों की भावनाओं से खिलवाड़ करने पर जमकर कोसा था।