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अमेठी : किसी जानकार ने कहा था कि तालीम से नस्ल की बेहतरी तय होती है, आधी-अधूरी तैयारियों के साथ खुलेंगे स्कूल ।

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अमेठी : किसी जानकार ने कहा था कि तालीम से नस्ल की बेहतरी तय होती है, आधी-अधूरी तैयारियों के साथ खुलेंगे स्कूल

अमेठी : किसी जानकार ने कहा था कि तालीम से नस्ल की बेहतरी तय होती है। सरकार ने भी शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया है, लेकिन देश की सियासत की दशा दिशा तय करने वाले जिले में शिक्षा खुद संसाधनों की भिक्षा मांग रही है। सोमवार को एक बार फिर आधी-अधूरी तैयारियों के बीच नए शैक्षिक सत्र का आगाज होने जा रहा है। बीते सत्र की खामियों से न तो किसी ने कोई सबक लिया है और न ही नए सत्र के लिए कोई खास योजना बनाई है। सब कुछ पुराना ही है, बदलाव के नाम पर सत्र ही बदल रहा है। जिला वीवीआईपी, सुविधाएं बदतर

दशकों से वीवीआईपी होने का गुमान झेल रहे जिले में बेसिक शिक्षा की हालत बद से बदतर है तो माध्यमिक शिक्षा भी वर्षो पुराने खंडहर जैसे स्कूलों में पेंट लगाकर चल रही है। प्राइवेट स्कूलों में नाम न लिखवा सकने में अक्षम बच्चे इन स्कूलों में दाखिल होने के लिए कतार में हैं, लेकिन यहां उनका भविष्य बनाने की चाहत का पूरी तरह अभाव है। बीते सत्र पर गौर करें तो बेसिक का पूरा अमला जहां महज बच्चों की उदरपूर्ति तक ही सीमित रह गया है, वहीं माध्यमिक में बेटियों के किसी स्कूल में विज्ञान की कक्षाएं ही नहीं चलीं। जिले में शिक्षा का आधारभूत ढांचा पूरी तरह बिगड़ा हुआ है।

मानक के मुताबिक नहीं हैं शिक्षक ।

बेसिक शिक्षा में सब कुछ दुरुस्त नहीं है। यहां बीते सत्र में सरकारी बेसिक स्कूलों में 154,491 विद्यार्थियों का दाखिला हुआ। इन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी कुल 2941 शिक्षकों व 1725 शिक्षामित्रों के कंधों पर रही।

कहीं तीन भवन तो कहीं छत ही नहीं

जिले के एक बाबूगंज प्राथमिक विद्यालय के नाम पर एक किमी. की परिधि में तीन-तीन भवन बना दिए गए हैं। यहां बात अलग है कि कक्षाएं एक ही भवन में चलती हैं और दो बेकार पड़े हैं। वहीं, गौरीगंज नगर पालिका परिषद के एक वार्ड में दशक भर से एक उच्च प्राथमिक विद्यालय को अब भी छत का इंतजार है। बिना खिड़की दरवाजा व रंगाई-पुताई वाले स्कूलों की संख्या सौ के पार है। रानीपुर में सरकारी स्कूल का निर्माण हुए वर्षो बीत गए पर अब तक प्लास्टर तक नहीं हुआ। 33 कालेज, दो में ही विज्ञान शिक्षक

जिले में राजकीय इंटर कालेजों की संख्या 33 है, लेकिन वर्तमान में दो ही ऐसे कालेज हैं, जहां विज्ञान की कक्षाएं जैसे-तैसे चलेंगी। बीते सत्र के 31 कालेजों में शिक्षकों के अभाव में विज्ञान की कक्षाएं बंद हो गई हैं। जिले में प्रधानाचार्य के 17 में से 15 पद रिक्त हैं। 146 में मात्र 23 प्रवक्ता, 192 में 59 सहायक अध्यापक कार्यरत हैं। लिपिक, चतुर्थ श्रेणी के आधे से अधिक पद वर्षो से खाली हैं। जायस राजकीय इंटर कालेज में मात्र दो सहायक अध्यापक वर्तमान में कार्यरत हैं।

बने तीन, चलेगा सिर्फ एक

जिले में तीन पं. दीनदयाल उपाध्याय मॉडल इंटर कालेज का निर्माण हुआ है। सोमवार से मात्र एक माडल कालेज बहादुरपुर ब्लाक के उड़वा में उधारी के शिक्षकों के सहारे शुरू हो रहा है। जबकि, धरौली व राघीपुर में अब तक निर्माण कार्य ही पूरा नहीं हो पाया है। माहौल बनेगा बेहतर

जिला विद्यालय निरीक्षक नंदलाल गुप्ता व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राजकुमार पंडित ने कहा कि जो संसाधन हैं, उन्हीं में बेहतर करने की कोशिश की जा रही है। नए सत्र में व्यवस्था में सुधार होगा और जिले में पठन-पाठन का माहौल बेहतर होगा।

  दैनिक जागरण

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