रायबरेली : नए सत्र का आगाज, ढाई लाख बच्चों को किताबों का इंतजार
रायबरेली। जिले में सोमवार से नए शिक्षा सत्र का आगाज हो गया। पहले दिन परिषदीय स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था मजाक बन कर रह गई। किसी भी स्कूल में सही तरीके से पठन-पाठन नहीं हो सका। स्कूलों में पंजीकृत ढाई लाख बच्चों को पहले दिन ही पढ़ने के लिए किताबें नहीं मिल पाईं। ऐेसे में बच्चे पुरानी यूनिफॉर्म में ही स्कूल पहुंचे और खेले-कूदे व घर लौट गए। नौनिहालों को नई किताबों का इंतजार है। ज्यादातर स्कूलों में शिक्षक भी महज ताला खोलने और हस्ताक्षर करके नए सत्र के शुभारंभ की खानापूरी करने पहुंचे। बच्चों के पास स्कूल बैग पुराना था, साथ ही उनमें रखी किताबें भी पुरानी थीं। बच्चों ने स्कूल में बस्ता एक किनारे रखा और मौज-मस्ती में पूरा दिन बिता दिया। हालांकि जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने पूर्व माध्यमिक विद्यालय चक अहमदपुर में स्कूल चलो अभियान का शुभारंभ जरूर किया, जिसके तहत जिले में पांच अप्रैल को स्कूल चलो रैली निकाली जाएगी।
जिले में बेसिक शिक्षा परिषद से संचालित लगभग 2700 विद्यालय हैं, जिनमें 95 स्कूलों को अब इंग्लिश मीडियम से संचालित किया जा रहा है। इन स्कूलों में पूरे दिन समारोह की धूम रही, जबकि बाकी स्कूलों में पहले दिन पढ़ाई व्यवस्था चौपट रही। ज्यादातर बच्चे पुरानी यूनिफॉर्म में स्कूल पहुंचे तो उनके हाथों में नए शिक्षा सत्र की किताबें नहीं थी। नई यूनिफॉर्म का भी पता नहीं है। ऐसे में बच्चे पुरानी किताबें लेकर ही स्कूल पहुंचे, लेकिन पढ़ाई के नाम पर बैग तक नहीं खोला। वजह यह कि शिक्षकों ने भी पढ़ाने में रुचि नहीं दिखाई। बस उपस्थिति दर्ज कराई और अपने काम में व्यस्त हो गए। शहर से लेकर देहात क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में कमोवेश यही हाल दिखा। बच्चों ने खूब की मौजमस्ती की। कुछ देर तक रुके और फिर घरों को लौट गए। सवाल ये है कि पहले दिन ही जब स्कूलों में लापरवाही का यह आलम दिखा तो बाकी दिनों में क्या होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
विद्यालयों में शैक्षिक माहौल बनाने के लिए स्कूल चलो अभियान चलाया जाएगा। रैलियां निकाली जाएंगी। बच्चों का नामांकन कराने के लिए अधिक से अधिक प्रयास किए जाएंगे। जल्द बच्चों को नई किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी। शिक्षकों की ओर से स्कूल जाने में ढिलाई बरती गई है तो उसकी भी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
- संजय कुमार शुक्ला, बीएसए