लखनऊ : बच्चों के जूते चार माह में ही फटने का कोर्ट ने लिया संज्ञान, कहा, एक नेक कार्य अधिकारियों के असंवेदनशील रवैये से बर्बाद हो गया
विधि संवाददाता, लखनऊ : स्कूली बच्चों को बांटे गए जूतों के चार महीने में ही घिस जाने और फटने के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त रुख अपनाया है। न्यायालय ने मीडिया में आई खबर का संज्ञान लेते हुए जूतों की खरीदारी का पूरा रिकॉर्ड राज्य सरकार से तलब किया है व सरकार के सचिव स्तर के किसी अधिकारी को भी मामले की अग्रिम सुनवाई के दौरान मौजूद रहने को कहा है। मामले की अग्रिम सुनवाई 11 अप्रैल को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने उपरोक्त मामले को जनहित याचिका के तौर पर लेते हुए दिया। मीडिया में खबर आई थी कि अक्टूबर 2017 में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को जूते, मोजे व स्वेटर बांटने का निर्णय कैबिनेट बैठक में लिया गया। नवंबर 2017 में जूतों की खरीदारी हुई और बांटने का कार्य भी किया गया।
जूते-मोजे और स्वेटर बांटने के लिए 266 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जिसमें प्रत्येक जूते की कीमत 135 रुपया 75 पैसा आई लेकिन, ज्यादातर जूते चार महीने में ही घिस के फट गए। न्यायालय ने मामले का संज्ञान लेते हुए कहा कि सरकार के एक नेक काम को अधिकारियों ने अपनी असंवेदनशीलता से बर्बाद कर दिया। न्यायालय ने जूतों की खरीदारी प्रक्रिया व टेंडर समेत पूरा रिकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया है।