औरैया : अब तक नहीं मिली विकास अनुदान राशि, परिषदीय स्कूलों में शासन की तरफ से विकास अनुदान राशि प्रत्येक वर्ष दी जाती
जागरण संवाददाता, औरैया : परिषदीय स्कूलों में शासन की तरफ से विकास अनुदान राशि प्रत्येक वर्ष दी जाती है। इससे विद्यालय के प्रधानाचार्य कुर्सी, मेज खरीदते हैं तथा विद्यालय का रंग रोगन व मरम्मत का काम भी कराते हैं। 2017-18 वित्तीय वर्ष बीत चुका है। लेकिन विद्यालयों को मिलने वाली विकास अनुदान धनराशि नहीं दी गई है। जबकि शासन द्वारा यह धनराशि जनपद में बीते वित्तीय वर्ष में ही आ गई थी।1परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं को अच्छी शिक्षा देने के लिए शासन प्रयासरत है। इसके लिए प्रत्येक वर्ष विद्यालयों को सजाने व साफ सुथरा रखने के लिए अनुदान राशि के रूप में पांच से 10 हजार रुपये तक दिए जाते हैं। इससे विद्यालय के प्रधानाचार्य छात्र-छात्रओं के हाथ धोने के लिए साबुन, बैठने के लिए दरी, चटाई, कुर्सी, मेज, बाल्टी, घड़ा, जग, लोटा, गिलास, कूड़ादान, फिनाइल, ब्लीचिंग पाउडर, चूना, चाक एवं डस्टर, ब्लैक बोर्ड, मान चित्र, अनुपूरक पुस्तक साहित्य, बल्ब, टयूबलाइट, तौलिया, शीशा, खेलकूद का सामान, अग्निशमन यंत्र तथा कक्ष में पठन-पाठन व विद्यालय में शैक्षिक सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए सामान खरीदा जाता है। इसके साथ ही विद्यालय के रंग रोगन के लिए अलग से धनराशि दी जाती है।जागरण संवाददाता, औरैया : परिषदीय स्कूलों में शासन की तरफ से विकास अनुदान राशि प्रत्येक वर्ष दी जाती है। इससे विद्यालय के प्रधानाचार्य कुर्सी, मेज खरीदते हैं तथा विद्यालय का रंग रोगन व मरम्मत का काम भी कराते हैं। 2017-18 वित्तीय वर्ष बीत चुका है। लेकिन विद्यालयों को मिलने वाली विकास अनुदान धनराशि नहीं दी गई है। जबकि शासन द्वारा यह धनराशि जनपद में बीते वित्तीय वर्ष में ही आ गई थी।1परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं को अच्छी शिक्षा देने के लिए शासन प्रयासरत है। इसके लिए प्रत्येक वर्ष विद्यालयों को सजाने व साफ सुथरा रखने के लिए अनुदान राशि के रूप में पांच से 10 हजार रुपये तक दिए जाते हैं। इससे विद्यालय के प्रधानाचार्य छात्र-छात्रओं के हाथ धोने के लिए साबुन, बैठने के लिए दरी, चटाई, कुर्सी, मेज, बाल्टी, घड़ा, जग, लोटा, गिलास, कूड़ादान, फिनाइल, ब्लीचिंग पाउडर, चूना, चाक एवं डस्टर, ब्लैक बोर्ड, मान चित्र, अनुपूरक पुस्तक साहित्य, बल्ब, टयूबलाइट, तौलिया, शीशा, खेलकूद का सामान, अग्निशमन यंत्र तथा कक्ष में पठन-पाठन व विद्यालय में शैक्षिक सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए सामान खरीदा जाता है। इसके साथ ही विद्यालय के रंग रोगन के लिए अलग से धनराशि दी जाती है।