बस्ती : कैसे चलेंगे अंग्रेजी माध्यम के परिषदीय स्कूल, ऐसे होना था स्कूलों का चयन, मुश्किलें बढ़ीं
जागरण संवाददाता,बस्ती : बेसिक शिक्षा परिषद में अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई मुश्किल हो गई है। इसके लिए चयनित स्कूल तो बहस के मुद्दे बन गए हैं। नए सत्र में 70 परिषदीय स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम से संचालित करना है। मगर यह संभव कैसे होगा इस सवाल पर विभाग भी निरूत्तर है। जिन स्कूलों का चयन हुआ है उसमें कई ऐसे हैं जो किसी भी दृष्टिकोण से अंग्रेजी माध्यम के लिए उपयुक्त नहीं हैं। मगर दफ्तर में बैठकर ही जिम्मेदार इन स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम के लिए योग्य करार दे दिए। अब यहां न तो अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने वाले शिक्षक मिल रहे हैं और न ही बच्चों की संतोषजनक संख्या। विभाग ने जिले भर के परिषदीय शिक्षकों से अंग्रेजी माध्यम से शिक्षण कार्य के लिए आवेदन मांगे तो यह उपाय भी कारगर नहीं निकला। क्योंकि अधिकांश शिक्षक अपने पुराने विद्यालय को छोड़ना नहीं चाहते। ज्यादातर वही शिक्षक आवेदन किए जिनका मकसद स्थानांतरण कराना था। ऐसा इस नाते कि अंग्रेजी शिक्षक के रूप में उन्हें मनमुताबिक विद्यालय आवंटित होना था। इसलिए अंग्रेजी माध्यम के शिक्षण कार्य में दक्षता रखने वाले सुदूरवर्ती क्षेत्रों में तैनात शिक्षक अपना चयन कराना मुनासिब समङो। मगर ऐसे शिक्षकों की संख्या ऊंट के मुंह में जीरा है। सहायक अध्यापक पद के लिए केवल 68 शिक्षक ही साक्षात्कार के लिए पहुंचे। प्रधानाध्यापक पद पर भी 68 लोगों का ही चयन हो पाया है। वहीं प्रत्येक विद्यालय पर चार सहायक अध्यापक और एक प्रधानाध्यापक होना अनिवार्य है। इस हिसाब से अंग्रेजी माध्यम के 17 विद्यालय ही शिक्षकों के मानक को पूरा कर रहे हैं। शेष 53 विद्यालय राम भरोसे है। इसमें दो विद्यालय ऐसे हैं जहां न तो प्रधानाध्यापक होंगे और न ही शिक्षक। 51 स्कूल पर केवल प्रधानाध्यापक की तैनाती हो पाई है। सहायक अध्यापक यहां हैं ही नहीं। फिर भी विभाग इन स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई कराने के लिए शासन के सुर में सुर मिला रहा है। धरातल पर तैयारी न के बराबर है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। फिर इन्हें इसी सत्र से चलाया जाएगा। शासन को सभी कार्रवाई से अवगत कराया जा रहा है। अभी शिक्षकों का इंतजाम किया जाएगा। जहां तक स्कूलों के चयन की बात है इसमें पारदर्शिता बरती गई है।परिषदीय शिक्षकों की मानें तो अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के चयन में सजगता बरती गई होती तो शिक्षकों की कमी की स्थिति सामने नहीं आती। ब्लाकवार शिक्षकों की बैठक होती और उनकी राय पर विद्यालयों का चयन किया जाता। इससे इच्छुक लोग अपने विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम से तब्दील कराते और पूरी तन्मयता से स्कूल को विकसित करते। शिक्षकों को अन्यत्र जाने का भय नहीं रहता। इसके अलावा स्कूल की छात्र संख्या और पढ़ाई का स्तर भी देखना चाहिए था। जानकार बताते हैं कि अदूरदर्शिता के चलते कई ऐसे विद्यालय अंग्रेजी माध्यम में चयनित हो गए हैं जहां छात्र संख्या बेहद कम है। यहां शिक्षक तैनात होकर भी क्या करेंगे। जब पढ़ने वाले नहीं रहेंगे। 1पहले से तैनात शिक्षक हुए नाराज: अंग्रेजी माध्यम के लिए चयनित स्कूलों में पहले से तैनात शिक्षक विभाग पर नाराज हैं। उनका कहना है कि सर्वे करके ही इन स्कूलों का चयन होता तो दिक्कत ही नहीं होती। वह अपने पुराने विद्यालय से हटना नहीं चाह रहे हैं। वहीं विभाग अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की तैनाती कर रहा है। इससे एक नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। ज्यादातर नए शिक्षक ही अंग्रेजी माध्यम के शिक्षक बने है। इन्हें मनमुताबिक स्कूल मिलने से एक ओर खुशी है तो पुराने शिक्षक स्थानांतरण से परेशान हैं।अंग्रेजी माध्यम के स्कूल>>701प्रधानाध्यापक का पद>> 701तैनात>>>>681रिक्त>>>>21सहायक अध्यापक पद>>280 तैनात>>>>68 रिक्त>> 212’ स्कूलों के चयन में हुई मानक की अनदेखी1’ 70 स्कूलों की जगह 17 के लिए मिले शिक्षक