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बाराबंकी : वोटों के लिए 25% रिजल्ट को 75% किया', बोले- शिक्षकों के अपमान और छात्र हित के लिए जाऊंगा कोर्ट, टीचर्स की मूल्यांकन सीट को बनाया आधार,शिक्षक विधायक ने सरकार पर लगाए आरोप

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बाराबंकी : वोटों के लिए 25% रिजल्ट को 75% किया', बोले- शिक्षकों के अपमान और छात्र हित के लिए जाऊंगा कोर्ट, टीचर्स की मूल्यांकन सीट को बनाया आधार,शिक्षक विधायक ने सरकार पर लगाए आरोप

एनबीटी, बाराबंकीः शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी ने यूपी बोर्ड के रिजल्ट पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि सरकार ने फेल छात्रों को वोटों के खातिर पास किया है। उसने 100- 200 नहीं बल्कि 30 से 35 लाख ऐसे विद्यार्थियों को पास कर दिया, जिनकों शिक्षकों ने मूल्यांकन के समय चार से पांच नंबर ही दोनों विषयों में दिए थे। ऐसा सरकार ने इसलिए किया कि ताकि उसको लोकसभा चुनाव में नुकसान न हो। सरकार ने सुनियोजित ढंग से यह खेल किया है। उन्होंने कहा कि सीधे तौर पर कहे तो यह खेल सरकारी मशीनरी को विश्वास में लेकर किया गया। लेकिन शिक्षकों की मूल्यांकन सीट को आधार बनाकर वो इस लड़ाई को सदन में काम रोको प्रस्ताव के जरिए व हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर लड़ेंगे। शिक्षक विधायक ने यह बात नगर के आवासीय शिवराम सिंह इंटर कॉलेज पल्हरी रोड पर एनबीटी से बातचीत में कही।
विधायक ने कहा, मूल्यांकन के समय मैं अपने निर्वाचन के सात जिलों प्रतापगढ़, रायबरेली, लखनऊ आदि में गया। सभी जगह शिक्षकों ने बताया कि मूल्यांकन के अनुसार रिजल्ट 25 से 30 प्रतिशत तक आएगा। इसके प्रमाण में उन लोगों ने छात्रों को मिले नंबर दिखाए। किसी को पांच तो किसी को चार नंबर ही मिले थे। यह स्तर हर मूल्यांकन केंद्र का रहा। मैंने 150 कॉलेजों की मूल्यांकन सीट मंगवाई है। उनमें दिए गए नंबर में सामने आया रिजल्ट काल्पनिक है। यह तो आजाद भारत की शिक्षा व्यवस्था का महाघोटाला है। यदि ऐसा करना है तो शिक्षकों व प्रबंधन को अपमानित क्यों किया गया। इससे इस बात को बल मिल रहा है कि भविष्य में छात्र व उनके अभिभावक तो नकल के बजाए सीधे यूपी बोर्ड में सेटिंग कर खुद को टॉपर्स की सूची में नाम लाने में सफल होंगे। शिक्षक विधायक ने कहा कि सरकार की मंशा शुरू से ही निजी कॉलेजों के शिक्षक व प्रबंधन को बदनाम करने की रही। उसने पुलिस के बजाए एसटीएफ को निगरानी की जिम्मेदारी दी। काफी संख्या में सही तो कई स्थानों पर फर्जी मुकदमें शिक्षक व प्रबंधकों के खिलाफ सरकार ने दर्ज करवाए। किसी तरह से अध्ययन व अध्यापन के प्रबंध करने वाले निजी कॉलेजों पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपये खर्च कर सीसीटीवी लगवाने को विवश किया।

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