लखनऊ : 32 हजार पदों पर हुईं सीधी भर्तियां भी जांच के दायरे में, कसेगा शिकंजा,
🔴 एनआरएचएम घोटाले में प्रदीप शुक्ला तलब,सीजीएल परीक्षा में ग्रुप ‘बी’ व ‘सी’ पदों का विज्ञापन जारी
🔵 उप्र लोकसेवा आयोग के भर्ती घोटाले का मामला
हरिशंकर मिश्र ’ लखनऊ । उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में भर्तियों के भ्रष्टाचार को लेकर केस दर्ज होने के बाद जहां तत्कालीन अध्यक्ष अनिल यादव के लिए खतरे की घंटी बज गई है, वहीं उनके कार्यकाल के कई अधिकारियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। फिलहाल सीबीआइ ने पीसीएस-2015 की परीक्षा में ही तमाम गड़बड़ियों के साक्ष्य हासिल किए हैं लेकिन, सीधी भर्ती की परीक्षाओं की जांच में भी तमाम अनियमितताएं सामने आएंगी। अनिल यादव के कार्यकाल में सीधी भर्ती के 278 पद विज्ञापित हुए थे, जिनके जरिये 32 हजार से अधिक नियुक्तियां की गई थीं।
बढ़ेगी अनिल यादव की मुसीबत
उप्र लोक सेवा आयोग के सबसे विवादास्पद अध्यक्ष रहे अनिल यादव के लिए उनके ही बनाए नियम अब मुसीबत का कारण बन सकते हैं। सीबीआइ की जांच अब जिस दिशा में बढ़ेगी इसमें उनकी संपत्तियों पर तो ध्यान केंद्रित होगा हो, उनकी खुद की नियुक्ति की भी छानबीन होनी तय है। गौरतलब है कि अनिल यादव की नियुक्ति को हाईकोर्ट अवैध ठहरा चुका है। इसकी जांच में उस समय से कई पुलिस अधिकारी भी लपेटे में आ सकते हैं जिन्होंने अनिल को क्लीन चिट दी थी।
इसी कड़ी में लोक सेवा आयोग के सचिव पद पर नियुक्ति न किए जाने का मामला है। इसके अलावा अध्यक्ष ने कई प्रस्ताव पारित कराए थे जिनमें सफल प्रतियोगियों की जाति न लिखा जाना जैसे विवादास्पद मामले भी थे।’