48 साल से चल रहे स्कूल के भवन को ढहाया
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊ । मामला पहुंचा हाईकोर्ट, सांसद को खाली जमीन मुहैया कराने के लिए स्कूल ढहाने का आरोप हाईकोर्ट सख्त, डीएम को दिए जांच के आदेश, कहा अगर आरोप सही तो अधिकारियों पर होगी सख्त कार्रवाई लखनऊ। विधि संवाददाता हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष गोंडा के विश्नोहरपुर गांव के एक प्राथमिक विद्यालय को ढहाने के मामले में जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रधान और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से सांसद बृजभूषण सिंह शरण के घर के सामने खुली जमीन मुहैया कराने के लिए 48 साल से चल रहे स्कूल के भवन को गिरा दिया गया। याचिका पर न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए, जिलाधिकारी गोंडा को दो सप्ताह में जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। न्यायालय ने मामले को गम्भीर करार देते हुए, स्पष्ट कर दिया है कि यदि याचिका में लगाए गए आरोप सही पाए जाते हैं तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्ययमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने राना प्रताप सिंह की याचिका पर दिए। याचिका में कहा गया था कि गोंडा के तरबगंज तहसील के विश्नोहरपुर गांव में प्राथमिक विद्यालय के नाम से जमीन वर्ष 1970 से ही राजस्व रिकॉर्डों में दर्ज है। यहां प्राथमिक विद्यालय- द्वितीय, विश्नोहरपुर के नाम से चल रहा था। 28 जुलाई 2017 को ग्राम प्रधान ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर कहा कि स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है लिहाजा इसे ढहा कर नया भवन निर्मित करवाया जाए। जिस पर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, नवाबगंज को स्कूल का मुआएना कर रिपोर्ट देने को कहा। ब्लॉक अधिकारी ने जिला को-ऑर्डिनेटर से रिपोर्ट मंगाने का अनुरोध बेसिक शिक्षा अधिकारी से किया। अंत्तोगत्वा 10 मई 2018 को स्कूल का भवन ढहा दिया गया। इस दौरान एक निजी जमीन जो राम किशोर सिंह के नाम से थी, उस पर स्कूल का भवन भी निर्मित कर दिया गया। याची ने आरोप लगाया है कि सांसद बृजभूषण सिंह के घर के सामने खुली जमीन मुहैया कराने के लिए उक्त स्कूल भवन को गिराया गया। अब जिस जमीन पर स्कूल भवन का निर्माण किया गया है वह काफी छोटी जगह है। वहीं सरकारी वकील की ओर से बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा लोक निर्माण विभाग व ग्रामीण अभियंत्रण विभाग से किए गए कुछ पत्राचार पेह किए गए लेकिन न्यायालय ने पाया कि सरकारी वकील को गोंडा जिला प्रशासन से मिले निर्देश में यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि स्कूल भव को गिराने और फिर निजी जमीन पर इसका निर्माण कराने का आदेश किसने दिया। न्यायालय ने मामले को गम्भीर करार देते हुए, उपरोक्त आदेश दिए।