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गोरखपुर : लेखाकार-लिपिक 56 लाख के फर्जीवाड़े में गिरफ्तार एडी बेसिक का फर्जी आदेश जारी कर हुआ था खेल, दस साल से चल रहा था फर्जीवाड़ा 

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गोरखपुर : लेखाकार-लिपिक 56 लाख के फर्जीवाड़े में गिरफ्तार एडी बेसिक का फर्जी आदेश जारी कर हुआ था खेल, दस साल से चल रहा था फर्जीवाड़ा 


जांच में पाए गए दोषी

बेसिक शिक्षा विभाग के दो बड़े जालसाजों को झंगहा पुलिस ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। लेखा विभाग के इन दोनों जालसाजों ने एडी बेसिक का एक फर्जी आदेश जारी कर सरकारी कोष से 56 लाख रुपये का बंदरबांट कर लिया। दो शिक्षकों को दस साल तक पूरा वेतन देते रहे। एरियर का भी भुगतान करा दिया। दो शिक्षक पहले ही जेल भेजे जा चुके हैं। मामला झंगहा थाना क्षेत्र के ब्रह्मपुर ब्लॉक अंतर्गत किसान पूर्व माध्यमिक विद्यालय दुबौली का है। 


संस्था के ऑडिट में फर्जी भुगतान का मामला पकड़ा गया था। एडी बेसिक ने मामले की जांच कराई तो पता चला कि यहां तैनात शिक्षक शब्बीर खां व महादेव प्रसाद को 2009 से 2016 तक का पूरा वेतन जारी कर दिया गया, जबकि दोनों अप्रशिक्षित थे और उन्हें नियमानुसार अप्रशिक्षित का वेतनमान दिया जाना मंजूर हुआ था। बेसिक शिक्षा विभाग के एडी बेसिक कार्यालय से उन्हें प्रति माह 7300 रुपये का वेतन देने का आदेश था। 2006 से 2012 तक यह इतना ही वेतन पाते रहे। नवंबर 2012 में अचानक इन दोनों को प्रशिक्षित शिक्षक का वेतन जारी कर दिया गया। इसके लिए लेखाधिकारी कार्यालय से एक फर्जी आदेश का सहारा लिया गया, जो एडी बेसिक के नाम से फर्जी ढंग से जारी किया गया था। कुछ महीने बाद लेखाधिकारी कार्यालय के लेखाकार इंद्रहास सिंह व बाबू रामायण पाल ने राजकोष से इन्हें करीब 24 लाख का एरियर भी भुगतान कर दिया। जांच रिपोर्ट के आधार पर पिछले साल दोनों शिक्षकों पर झंगहा थाने में बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से मई-2017 में एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस ने केस दर्ज करने के बाद सितंबर 2017 में दोनों आरोपित शिक्षकों को जेल भेज दिया। विवेचना में पुलिस ने लेखाकार इंद्रहास सिंह व बाबू रामायण पाल को भी फर्जी आदेश तैयार करने व लेखाधिकारी को साजिश में लेकर सरकारी धन के बंदरबांट का दोषी पाया। झंगहा पुलिस ने बेसिक शिक्षा विभाग से इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया। 


बेसिक शिक्षा विभाग का लेखा कार्यालय वर्षों से चर्चा में है। शासन ने कई बार यहां लंबे समय से जमे लेखाकार व बाबुओं के तबादले की कोशिश की मगर सफलता नहीं मिली। स्थानांतरित होकर आए लोगों को यहां के लोग इतना परेशान करते थे कि वह लोग खुद अपना तबादला निरस्त करा लेते थे। बताते हैं कि अधिकारी भी इस कार्यालय की मनमानी के खिलाफ कुछ नहीं कर पाते थे। यही वजह है कि इंद्रहास समेत यहां के बाबुओं ने चंद दिनों में ही काफी दौलत इकट्ठी कर ली है। इंद्रहास के बारे में बताते हैं कि उसकी नौकरी मृतक आश्रित के रूप में मिली है। इसके दो भाई भी सरकारी नौकरी कर रहे हैं। 


एडी बेसिक ने जांच के बाद रिकवरी व दोषी कर्मचारियों के खिलाफ विधिक कार्रवाई का आदेश दिया। इससे बचने को दोनों शिक्षक हाईकोर्ट चले गए। जहां से बेसिक शिक्षा निदेशक को प्रकरण की जांच करा कर निस्तारित करने का आदेश दिया गया। निदेशक की जांच में शिक्षकों के अलावा तत्कालीन लेखाधिकारी ओमप्रकाश धर द्विवेदी, लेखाकार इंद्रहास सिंह व बाबू रामायण पाल को दोषी पाया गया। वित्त नियंत्रक ने भी प्रकरण की जांच कराई तो पता चला कि लेखाधिकारी कार्यालय से ही फर्जी हस्ताक्षर बना कर करीब 56 लाख का भुगतान करा लिया गया। 

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