गजरौला (अमरोहा) : रेखा रानी, एक शिक्षिका हैं। स्कूल में बच्चों को ज्ञान देने के साथ मां जैसा दुलार और एक घर सा माहौल देती हैं। वह बच्चों का जन्मदिन मनाती हैं, बिल्कुल उसी तरह जैसे घर में मनाया जाता है। बच्चों की इच्छा और शौक भी स्कूल के समय पूरे करती हैं और दुलार भी करती हैं। यही कारण है कि छात्र-छात्राएं इन्हें मां कहकर भी पुकारते हैं।
नगर पालिका दफ्तर के सामने स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका रेखा रानी स्कूल में रहकर न सिर्फ शिक्षिका के रूप में दिखती हैं बल्कि वह मां का किरदार खूब निभाती हैं। स्कूल में पढ़ने वाले बिन मां के नौनिहालों के साथ वह मां जैसा व्यवहार करती हैं। इसी कारण इन बच्चों को कभी मां की कमी नहीं खलती। जिन बच्चों की मां नहीं हैं, उन्हें रेखा रानी पुरानी कहावतें-लोरियां सुनाकर मां के नहीं होने का एहसास जरा भी नहीं होने देती हैं। इसीलिए कई छात्र-छात्राएं उन्हें मां कह कर ही पुकारने लगे। खास बात यह है कि वह ऐसे नौनिहालों का महीने के आखिरी शनिवार को स्कूल परिसर में ही जन्मदिन भी मनाती हैं। स्कूल को गुब्बारे आदि से सजाकर बच्चों के हाथों से केक कटवाया जाता है। इतना ही नहीं जिन छात्र-छात्राओं के बाल व कपड़े सही तरीके से नहीं बने होते हैं तो वह खुद उन्हें ठीक करती हैं। ऐसे ही वह पढ़ाई सामग्री लेने में असमर्थ बच्चों को अपनी निजी कोष से सामग्री देकर पढ़ाई के लिए प्रेरित करती हैं।
याद आती है, लेकिन सब्र कर लेते हैं
कक्षा आठ की छात्रा समरीन ने बताया कि दो साल पहले बीमारी के चलते मां की मौत हो गई थी। पिता सुबह दुकान पर चले जाते हैं। ऐसे में अब खुद ही खाना बनाकर स्कूल आना पड़ता है। ऐसे में मां की याद आती है, लेकिन स्कूल पहुंचने के बाद मैडम के प्रेम से सब्र करते हैं कि हमारे लिए मां नहीं तो उन जैसी मैडम तो हैं। जो मां जैसा प्रेम करती हैं।
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मैडम ही मेरी मां हैं..
कक्षा सात की छात्रा आरती ने बताया कि कई साल पहले मां की मौत हो गई थी। परिवार में चार भाई-बहनें हैं। जब सब एक साथ होते हैं तो मां की याद आती है। मैडम स्कूल में ही नहीं बल्कि घर जाकर सभी भाई-बहनों के हालचाल जानती है और हर परेशानी में साथ देती है। इसलिए मां के नहीं होने का अहसास नहीं होता है। ऐसे में अब मेरी मां सिर्फ मेरी मैडम ही हैं।
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इन छात्र-छात्राओं ने दिया मां का दर्जा
प्रधान अध्यापिका रेखा रानी के इस मां प्रेम को देखकर गांव शहबाजपुर डोर निवासी छात्रा मेशर, पूनम, तमन्ना व बस्ती निवासी समरीन, नसरीन आरती व अनस ने उन्हें मां का दर्जा दिया है। वह किसी भी परेशानी में होते हैं तो इस मां रूपी शिक्षिका से जरूर साझा करते हैं।
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प्रधान अध्यापिका रेखा रानी की ओर से किए जाने वाले काम की सराहना बेहद कम है। वह ऐसे बच्चों के लिए सहारा बनी हुई है। हर माह के अंत में स्कूल में जन्मदिन व अन्य सामाजिक कार्य कर वह गरीब बच्चों के लिए आगे बढ़ाने का काम करती आ रही हैं।
- राकेश कुमार गौड़, खंड शिक्षा अधिकारी, गजरौला।