फतेहपुर : बेसिक में बस्ते खाली, माध्यमिक में कालाबाजारी, एनसीइआरटी की किताबें खोजे नहीं मिल रहीं, निश्शुल्क किताबों का वितरण भी ठंडे बस्ते में पड़ा
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : प्रशासनिक शिथिलता के चलते शिक्षार्थियों की सुंदर भविष्य का परिकल्पना साकार नहीं हो पा रही है। माध्यमिक और बेसिक के हर बच्चे के हाथ में किताबें नहीं पहुंच पा रही हैं। किताबों की पहुंच से दूर विद्यार्थी बिना किताबों के शिक्षार्जन करने में जुटे हुए हैं। बेसिक की निश्शुल्क किताबों के वितरण में शासन का मामला बताकर जिम्मेदार पल्ला झाड़ रहे हैं तो एनसीइआरटी की किताबों की उपलब्धता न होने को प्रशासनिक अफसर संज्ञान में नहीं ले रहे हैं। 1एनसीइआरटी की किताबों की आपूर्ति नहीं, अभिभावक-छात्र परेशान 1माध्यमिक शिक्षा विभाग मे कक्षा 9 से एनसीइआरटी की किताबों का संचालन अनिवार्य किया गया है। सस्ती दर पर मिलने वाली किताबों की उपलब्धता बाजार में नहीं है। जिसके चलते यह कार्य पूरी तरह से सुगम नहीं हो पा रहा है। किताबों की खेप प्रकाशन से उपलब्ध न होने के चलते आधी अधूरी किताबों ही बाजार में उपलब्ध हैं। बुकसेलर्स भी किताबों की उपलब्धता के आधार पर अभिभावकों को संतुष्ट करने में जुटे हुए हैं। प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के हाथ में किताबें नहीं पहुंच पाई हैं तो कोर्स को शिक्षक खत्म करने में जुटे हुए हैं। प्रतिदिन पाठन पाठन से कोर्स बढ़ता ही जा रहा है। जिसके चलते बच्चों का दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 1किताबों के साथ कॉपियों में मची लूट : एनसीइआरटी की किताबों के साथ अभिभावकों को कॉपी खरीदने की अनिवार्यता की शर्त पूरी करनी पड़ रही है। माना एक किताब का मूल्य 57 रुपए हैं इसके साथ में 100 रुपये की कॉपी लगा कर दी जा रही है। ऐसी स्थिति में किताबों की कीमत से ज्यादा कॉपियों के दाम अदा करने पड़ रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि यही कॉपियों बाजार में आधे रेट में उपलब्ध हैं। इसके बाद भी प्रशासन इस गलत काम में रोक नहीं लगा पा हा है। 1निश्शुल्क किताबों की नहीं आई खेप: शासन ने कक्षा 8 तक के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए निश्शुल्क किताबों के वितरण की योजना चला रखी है। यह योजना समय से क्रियान्वित न होने के चलते आधे सत्र के बाद वितरण तक पहुंच पाती है। 1शासन से आने वाली खेप बीते पांच सालों से देरी से ही मिल पाती है। अगस्त सितंबर में जब खेप आती है तो इसका वितरण किया जाता है। वितरण के समय आधे से ज्यादा कोर्स शिक्षक पढ़ा चुके होते हैं। बेसिक शिक्षा में पंजीकृत 2,42,234 बच्चों को अभी भी किताबों का इंतजार है। विभाग ने लेटलतीफी से आने वाली किताबों के चलते पुरानी किताबें पूर्व छात्रों से जमा कराने का विकल्प अपना रखा है। यह विकल्प कारगर साबित नहीं हो पा रहा है। कारण कि बच्चे इन किताबों को फाड़ डालते हैं। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में सभी प्रकार की किताबों में 20 फीसद भी जमा नहीं हो पाती है। 1दुकान से कापी-किताब की खरीदारी करते बच्चे व अभिभावक ’ जागरणक्या बोले जिम्मेदार 1 एनसीइआरटी की किताबों के साथ अगर कॉपियों जबरदस्ती दी जा रही हैं तो यह गलत है। पूर्व में अभियान चलाकर बुकसेलर्स को चेताया जा चुका है। दोबारा छापेमारी अभियान चलाया जाएगा अगर ऐसी पुनरावृत्ति मिलती है तो कार्यवाही की जाएगी। 1महेंद्र प्रताप सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक 1- निश्शुल्क किताबों के वितरण का मामला शासन स्तर का होता है। जब खेप आती है तो तत्काल वितरण की व्यवस्था कराई जाती है। देरी से किताबों की खेप आने से यह सुरक्षित भी बचती है। इसी लिए किताबों को जमा करा दिया जाता है। फिर नए बच्चों में वितरित करके पठन पाठन शुरू कराया जाता है। शिवेंद्र प्रताप सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी