परिषदीय अध्यापकों की पदोन्नति पर लगी रोक
जागरण संवाददाता, औरैया : अधिकारियों की लापरवाही ने अध्यापकों के अरमानों पर पानी फेर दिया। परिषदीय विद्यालयों की पदोन्नति को लेकर पूर्व से जारी आदेशों पर अधिकारियों ने गौर नहीं किया। पद भी खाली पड़े रहे। अध्यापक भी पदोन्नति की मांग करते रहे पर जिम्मेदार सोते रहे। मामला उच्च न्यायालय में पहुंच गया और उच्च न्यायालय के आदेश पर ही बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने पूर्व में जारी अपने आदेश को रद्द कर पदोन्नति पर रोक लगा दी है।
परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों के बहुत से पद खाली चल रहे हैं। किसी तरह प्रभारी प्रधानाध्यापक काम चला रहे हैं। शासन स्तर से विभागों में पदोन्नति का आदेश दिया गया था। उसी क्रम में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने भी बीती 28 मार्च को परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों की कुल रिक्तियों में से अंतरजनपदीय स्थानांतरण विज्ञप्तियों को छोड़कर अवशेष पदों पर एक माह में ही पदोन्नति की कार्रवाई पूर्ण करने का आदेश दिया था। अध्यापक पदोन्नति मांगते रहे। अधिकारी भी सूचना मांगते रहे। लेकिन कुछ हुआ नहीं और पूरी प्रक्रिया फाइलों में दबी पड़ी रही। इसी बीच पदोन्नति का मामला उच्च न्यायालय लखनऊ पहुंच गया। इस पर उच्च न्यायालय ने बीती 15 मई को पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी। इसके चलते बेसिक शिक्षा सचिव ने प्रदेश के सभी बीएसए को पत्र जारी कर उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने के निर्देश दिए। इससे अब पदोन्नति न हो पाने से प्रधानाध्यापकों का चार्ज सहायक अध्यापकों के पास ही बना रहेगा। शिक्षकों का कहना है कि समय रहते अधिकारी ध्यान दे देते तो पूरी प्रक्रिया हो जाती। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शिव प्रसाद यादव ने बताया कि सचिव का आदेश आ गया है। उसका अनुपालन कराया जाएगा।