दौ सौ रुपये में कैसे पहनेंगे यूनीफार्म
जागरण संवाददाता, औरैया : महंगाई आसमान पर पहुंच गई जो कपड़ा पांच साल पहले 100 रुपये मीट...
जागरण संवाददाता, औरैया : महंगाई आसमान पर पहुंच गई जो कपड़ा पांच साल पहले 100 रुपये मीटर मिल रहा था उसकी कीमत बढ़ कर 150 हो गई। जो टेलर 250 रुपये में पैंट शर्ट सिल देते थे वह अब चार सौ रुपये ले रहे हैं। अब इसे व्यवस्था की दुहाई दे या फिर केवल खानापूर्ति। परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को दी जाने वाली स्कूली यूनीफार्म की धनराशि में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। पांच साल पहले दो सौ रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से धन यूनीफार्म के लिए दिया जाता था। इस साल भी यही हुआ है। यानी कि गत वर्षों की तरह इस वर्ष भी काम होगा और बच्चों को जुगाड़ की यूनीफार्म पहनाई जाएगी।
परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को दो सेट यूनीफार्म दी जाती है। व्यवस्था तो काफी पुरानी है। बसपा सरकार में जहां 100 रुपये प्रति ड्रेस बनी वहीं सपा सरकार में ड्रेस की कीमत बढ़कर 200 रुपये की हो गई। वहीं अभी भी जारी है। जनपद में 1063 प्राथमिक तथा 453 उच्च प्राथमिक व कुछ सहायता प्राप्त विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए प्रति बच्चा दो सौ रुपये के हिसाब से धनराशि भेजी गई है। अब सरकार ने व्यवस्था बनाई कि बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण ड्रेस दी जाए। विद्यालयों में क्रय समितियों का गठन कर कपड़ा खरीदने के बाद बच्चों की माप के अनुसार यूनीफार्म सिलवाई जाए। इसके लिए अब सरकार ने आदेश तो जारी कर दिया है, लेकिन अध्यापकों का कहना है कि पांच साल पहले जो कीमतें थी वह अब आसमान पर हैं न ही कपड़ा मिल पाएगा और न ही टेलर सिल कर देगा। ऐसे में बच्चों को जुगाड़ की यूनीफार्म से ही काम चलाना होगा। जहां बच्चों को नाप के बजाए अनुमान से उम्र के अनुसार ड्रेस पहनाई जाएगी। जबकि अधिकारियों का कहना है कि गुणवत्तापूर्ण ड्रेस का ही वितरण होगा। महंगाई में कमीशन का खेल बच्चों की ड्रेस में एक तो महंगाई का असर रहता है दूसरी ओर कमीशन गुणवत्ता खा जाता है। प्रति बच्चा दो सौ रुपये जारी तो होते हैं, लेकिन अधिकतम 150 रुपये की ही ड्रेस खरीदी जाती है। नीचे से ऊपर तक कमीशन चलता है। पचास से साठ रुपये कमीशन में ही चले जाते है और इसका पूरा असर बच्चों की यूनीफार्म पर ही पड़ता है।