लखनऊ : डिग्री कॉलेजों के मानदेय शिक्षकों को नियमित करने की तैयारी
हिन्दुस्तान टीम, लखनऊ । वर्ष 1999 से अब तक मानदेय पर पढ़ा रहे 750 प्रवक्ता प्रमुख संवाददाता-राज्य मुख्यालय प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में निश्चित मानदेय पर कार्यरत शिक्षकों को विनियमित करने की तैयारी चल रही है। उच्च शिक्षा विभाग इस संबंध में कैबिनेट के लिए प्रस्ताव बनाने में जुटा है। कॉलेजों में शैक्षिक कार्य प्रभावित होने के कारण वर्ष 1998 में निश्चित मानदेय के आधार पर प्रदेश के विभिन्न सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में कुल 903 असिस्टेंट प्रोफेसरों (प्रवक्ता) की नियुक्ति की गई थी। बाद में इन शिक्षकों को पांचवां व छठां वेतनमान भी दिया गया। वर्ष 2006 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने इन शिक्षकों को विनियमित करने के लिए उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा अधिनियम की धारा 31 में संशोधन करने का निर्णय लिया लेकिन इसमें कुछ तकनीकी पेंच फंस जाने के कारण इन मानदेय शिक्षकों का मर्जर (आमेलन) नहीं हो पाया। फिर वर्ष 2011 में प्रदेश सरकार ने इन शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने का फैसला ले लिया लेकिन शिक्षकों को हाईकोर्ट से राहत मिल गई। वर्ष 2014 में अधिनियम में संशोधन के लिए नया प्रस्ताव पारित किया गया तो उससे सिर्फ 155 मानदेय शिक्षक ही विनियमित हो पाए। लगभग 750 शिक्षक अभी भी विनियमित होने की प्रत्याशा में हैं। इस बीच लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय टीचर्स एसोसिएशन (लुआक्टा) ने उच्च शिक्षा विभाग का भी प्रभार संभाल रहे उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा के सामने यह मुद्दा उठाया। लुआक्टा ने कहा कि प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 50 प्रतिशत (लगभग 6 हजार) पद रिक्त हैं। उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को इन पदों पर चयन की प्रक्रिया पूरी करने में अभी समय लगेगा। ऐसे में इन अनुभवी मानदेय शिक्षकों को विनियमित किया जाना न्यायोचित होगा। लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय के अनुसार उप मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने इस मांग पर उसी समय अपनी सहमति दे दी थी। सूत्रों के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग इन पदों पर चयन के लिए आयोग को अधियाचन न भेजने और कार्यरत मानदेय शिक्षकों को विनियमित करने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। बहुत जल्द यह विषय कैबिनेट के सामने रखा जाएगा।