बस्ती : पहले खेती का काम फिर पढ़ाई, स्कूल चलो अभियान, शिक्षकों द्वारा कई बार समझाने के बाद भी बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे अभिभावक
जागरण संवाददाता, रखौना, बस्ती: परिषदीय विद्यालयों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने की शिक्षकों की कवायद धरी रह जा रही है। 6 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को विद्यालय में प्रवेश दिलाने के लिये चला कर बेसिक शिक्षा विभाग घर - घर जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहा है। स्कूलों के बच्चे जागरूकता रैली निकाल अब न करो अज्ञानता की भूल, हर बच्चे को भेजो स्कूल एवं मम्मी पापा हमें पढ़ाओ, सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाओ जैसे नारे लगा कर गांव-गांव अलख जगाने में जुटे हैं। स्कूलों में तैनात शिक्षक भी छात्र संख्या बढाने के लिए गांवों में जा कर अभिभावकों से बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाने पर जोर दे रहे हैं लेकिन इन दिनों गेहूं की कटाई व मड़ाई ने उन बच्चों की पढ़ाई पर ब्रेक लगा दिया है जिनका अभी प्रवेश नहीं हुआ है। ऐसे बच्चे भी स्कूल कम ही आ रहे हैं जिनका प्रवेश तो हो चुका है पर अभिभावक खेती के काम के चलते स्कूल नहीं भेज रहे हैं। फसल की कटाई, महुआ तथा गेहूं की बालियां बीनने के लिए ग्रामीण इलाकों के विद्यालयों में 30 फीसद भी बच्चे उपस्थित नहीं हो रहे हैं। 1अभिभावक भी खेती के कामों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। स्कूल भेजने के बजाय अपने साथ बच्चों को लेकर आनाज तथा भूसा व्यवस्थित करने में लगे हैं। उनका कहना है कि आग लगने की घटनाएं आए दिन हो रही है। घर में अनाज व भूसा आ जाने पर भय दूर हो जाता है। पहिले खाने की व्यवस्था हो जाए तो फिर बच्चे को पढ़ने भेजेंगे। ऐसा ही हाल है दिखा कुदरहा ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय भरवलिया में। प्रधानाध्यापक भइया राम राव ने बताया कि वह पिपरपाती एहतमाली गांव में बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिये प्रेरित करने गए तो एक अभिभावक ने कहा कि चार माह की कमाई है गेहूं कटे बाद नाम लिखवा देब।1 हम के हर महिना वेतन न मिलत कि मजदूर लगा देई। पूर्व माध्यमिक विद्यालय पिपरपाती के संजय गिरि अभिभावकों से संपर्क करने निकले तो अधिकांश घरों पर बच्चे एवं अभिभावक नहीं मिले। घर में ताला लगा था। जो लोग मिले उनसे पता चला कि बच्चे माता-पिता के साथ खेत पर फसल काटने गए हैं। एक महिला अभिभावक ने कहा खेते में दाना लईके गईल बाटेन तीन चार दिन बाद पढ़े जहिएं। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों द्वारा खेत में दाना पानी पहुंचा देने एवं कटाई में थोड़ा बहुत सहयोग कर देने से काफी राहत मिल जाती है।’>>पढ़ाई को महत्व नहीं देते खेती-किसानी में व्यस्त किसान1’>>अधिकांश घरों में नहीं मिले बच्चे एवं अभिभावकपिपरपाती एहतमाली गांव में बच्चों के नामांकन के लिए अभिभावकों को समझाते शिक्षक