इलाहाबाद : अभ्यर्थियों से नाइंसाफी कर कोर्ट से इंसाफ मांग रहा आयोग, एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती की परीक्षा में याचियों से आवेदन लेने की तारीख पर संशय
इलाहाबाद : अफसर बनने का सपना संजोने वाले युवाओं की राह में उप्र लोकसेवा आयोग राह मुश्किल कर रहा है। परीक्षाओं में प्रश्नों के जवाब में लगातार गलतियां कर रहा आयोग कोर्ट में एसएलपी भी दाखिल कर रहा है। पांच साल में अभ्यर्थियों की ओर से करीब 700 याचिकाएं दाखिल हुई हैं, वहीं आयोग की ओर से पीसीएस की चार सत्र की परीक्षाओं सहित अन्य कई मामलों में एसएलपी दाखिल हो चुकी है। पुरानी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए आयोग का सीबीआइ जांच की राह में रोड़े अटकाना भी लाखों अभ्यर्थियों को अखर रहा है।1गौरतलब है कि आयोग के पूर्व अध्यक्ष डा. अनिल यादव के कार्यकाल से लेकर अब तक विभिन्न परीक्षाओं में लगभग 700 याचिकाएं अभ्यर्थियों की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल हो चुकी हैं। जिनमें समय-समय पर कोर्ट से निर्णय भी हुए हैं, जबकि अभ्यर्थियों की समस्या को सुलझाने की बजाए आयोग एसएलपी दाखिल कर रहा है। पीसीएस 2016 की परीक्षा इसका ज्वलंत उदाहरण है जिसका अभी तक निस्तारण नहीं हो सका है। पीसीएस 2017 की प्रारंभिक परीक्षा के मामले में भी आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दाखिल की है। पीसीएस 2011 और पीसीएस 2015 पर विशेष अपील हाईकोर्ट में पहले से लंबित है। वहीं, एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती की परीक्षा की तारीख में आयोग ने बदलाव तो कर दिया है लेकिन, याचियों से आवेदन लेने की तारीख स्पष्ट न कर इस मामले को भी संशय में रखा है। उधर, पांच साल के दौरान हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच के फैसले के खिलाफ आयोग ने पहले हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। निर्णय सीबीआइ जांच के पक्ष में आने के बाद आयोग ने अब सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दाखिल कर दी है जिस पर सुनवाई होनी है।
मुकदमा लड़ने नहीं आते अभ्यर्थी : प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय का कहना है कि अभ्यर्थी पढ़ाई लिखाई मुकदमे लड़ने के लिए नहीं करता। आयोग अपनी गलतियों से उन्हें कोर्ट जाने पर मजबूर कर रहा है और खामियां दुरुस्त करने की बजाए एसएलपी दाखिल कर रहा है। इससे अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकारमय है