एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग
की समस्त सूचनाएं एक साथ

"BSN" प्राइमरी का मास्टर । Primary Ka Master. Blogger द्वारा संचालित.

जनपदवार खबरें पढ़ें

जनपदवार खबरें महराजगंज लखनऊ इलाहाबाद प्रयागराज गोरखपुर उत्तर प्रदेश फतेहपुर सिद्धार्थनगर गोण्डा बदायूं कुशीनगर सीतापुर बलरामपुर संतकबीरनगर देवरिया बस्ती रायबरेली बाराबंकी फर्रुखाबाद वाराणसी हरदोई उन्नाव सुल्तानपुर पीलीभीत अमेठी अम्बेडकरनगर सोनभद्र बलिया हाथरस सहारनपुर बहराइच श्रावस्ती मुरादाबाद कानपुर जौनपुर अमरोहा लखीमपुर खीरी मथुरा फिरोजाबाद रामपुर गाजीपुर बिजनौर बागपत शाहजहांपुर बांदा प्रतापगढ़ मिर्जापुर जालौन चित्रकूट कासगंज ललितपुर मुजफ्फरनगर अयोध्या चंदौली गाजियाबाद हमीरपुर महोबा झांसी अलीगढ़ गौतमबुद्धनगर संभल हापुड़ पडरौना देवीपाटन फरीदाबाद बुलंदशहर

Search Your City

लखनऊ : तबेले में स्कूल, विकास और तरक्की के लाख दावे करें, लेकिन 21 वीं शताब्दी में भी जमीनी हकीकत बेहद कड़वी और सामाजिक तौर पर पिछड़ेपन को दर्शाती है यह तस्वीर

0 comments

लखनऊ : तबेले में स्कूल, विकास और तरक्की के लाख दावे करें, लेकिन 21 वीं शताब्दी में भी जमीनी हकीकत बेहद कड़वी और सामाजिक तौर पर पिछड़ेपन को दर्शाती है यह तस्वीर

हम विकास और तरक्की के लाख दावे करें, लेकिन 21 वीं शताब्दी में भी जमीनी हकीकत बेहद कड़वी और सामाजिक तौर पर पिछड़ेपन को दर्शाती है। यह तस्वीर देश की शिक्षा व्यवस्था को आईना दिखाने के लिए काफी है। बिहार के सहरसा जिले के बख्तियारपुर प्रखंड स्थित नवसृजित इजराहा प्राथमिक विद्यालय गाय-भैंसों के तबेले में चल रहा है। वर्ष 2005 में कागजों पर यह विद्यालय अस्तित्व में आ गया था, लेकिन इसे भवन नसीब नहीं हुआ। एक ग्रामीण ने अपना तबेला दे दिया और शुरू हो गया स्कूल। यहां करीब 120 बच्चे और तीन शिक्षक हैं। बच्चे जब सस्वर पाठ याद करते हैं तो मवेशी रंभाते हैं। इतना ही नहीं, जिसमें बड़े बर्तन में मध्याह्न भोजन तैयार किया जाता है, उसी में मवेशियों को चारा भी खिलाया जाता है ’ मो. नजारुल हकहम विकास और तरक्की के लाख दावे करें, लेकिन 21 वीं शताब्दी में भी जमीनी हकीकत बेहद कड़वी और सामाजिक तौर पर पिछड़ेपन को दर्शाती है। यह तस्वीर देश की शिक्षा व्यवस्था को आईना दिखाने के लिए काफी है। बिहार के सहरसा जिले के बख्तियारपुर प्रखंड स्थित नवसृजित इजराहा प्राथमिक विद्यालय गाय-भैंसों के तबेले में चल रहा है। वर्ष 2005 में कागजों पर यह विद्यालय अस्तित्व में आ गया था, लेकिन इसे भवन नसीब नहीं हुआ। एक ग्रामीण ने अपना तबेला दे दिया और शुरू हो गया स्कूल। यहां करीब 120 बच्चे और तीन शिक्षक हैं। बच्चे जब सस्वर पाठ याद करते हैं तो मवेशी रंभाते हैं। इतना ही नहीं, जिसमें बड़े बर्तन में मध्याह्न भोजन तैयार किया जाता है, उसी में मवेशियों को चारा भी खिलाया जाता है ’ मो. नजारुल हक

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महत्वपूर्ण सूचना...


बेसिक शिक्षा परिषद के शासनादेश, सूचनाएँ, आदेश निर्देश तथा सभी समाचार एक साथ एक जगह...
सादर नमस्कार साथियों, सभी पाठकगण ध्यान दें इस ब्लॉग साईट पर मौजूद समस्त सामग्री Google Search, सोशल नेटवर्किंग साइट्स (व्हा्ट्सऐप, टेलीग्राम एवं फेसबुक) से भी लिया गया है। किसी भी खबर की पुष्टि के लिए आप स्वयं अपने मत का उपयोग करते हुए खबर की पुष्टि करें, उसकी पुरी जिम्मेदारी आपकी होगी। इस ब्लाग पर सम्बन्धित सामग्री की किसी भी ख़बर एवं जानकारी के तथ्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी एवं समस्या पाए जाने पर ब्लाग एडमिन /लेखक कहीं से भी दोषी अथवा जिम्मेदार नहीं होंगे, सादर धन्यवाद।